नीमच व गाजीपुर अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक निलंबित, मिठाई के डिब्बे में ले रहे थे रिश्वत

नीमच। राजस्थान में रिश्वत की रकम के साथ पकड़ाये नीमच व गाजीपुर अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक निलंबित कर दिए गए हैं। दो दिन पूर्व राजस्थान में मिठाई के डिब्बेे में रिश्वत की रकम के साथ उनको पकड़ा गया था। इसके बाद रिश्वत की पुष्टि होने और पूछताछ में पूरी उगाही की कहानी सामने आने के बाद आखिरकार उनको निलंबित कर दिया गया।
अफीम कारखाना के महाप्रबंधक शशांक यादव के नवापुरा में सरकारी आवास और प्रयागराज के आवास पर खोजबीन और साक्ष्य संकलन को लेकर राजस्थान के डीजीपी ने रविवार को डीजीपी के निर्देश पर वाराणसी विजिलेंस के डिप्टी एसपी के साथ करीब 20 सदस्यों की टीम मकान के साथ ही परिसर भर में कई जगहों पर खोजबीन के साथ वीडियोग्राफी कर रिकार्ड संग्रहित किया था। वहीं डीजीपी के आदेश के बाद सबसे पहले डीएम एमपी सिंह से टीम ने मुलाकात कर विस्तृत जानकारी दी थी। पुलिस को लेकर टीम फैक्ट्री के प्रबंधक ओपी राय के कार्यालय पहुंची और टीम शाम चार बजे नवापुरा स्थित महाप्रबंधक के आवास पर जाकर जांच पड़ताल की। वहीं उनके गिरफ्तारी के बाद से ही कार्रवाई की तलवार चलनी तय हो गई थी।
आखिरकार गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे में कार्रवाई करते हुए उनको निलंबित कर दिया गया। इस आशय की जानकारी भी कारखाने को प्रेषित कर दी गई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) के अधिकारी डॉ. शशांक यादव को भ्रष्टाचार के आरोप 17 जुलाई को पकड़ा गया था। आरोपित की गाड़ी से 16 लाख 32 हजार 410 की नकदी बरामद की गई थी। शशांक यादव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित अफीम फैक्ट्री में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे और उनके पास नीमच (मध्य प्रदेश) फैक्ट्री का भी अतिरिक्त प्रभार था। वहीं अब उनके निलंबन के साथ ही गाजीपुर और नीमच फैक्ट्रीच का भी प्रभार छिन गया है। दूसरी ओर जांच की रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेज दी गई है।
किसानों से 35 करोड़ वसूले
राजस्था न पुलिस के अनुसार डॉ. शशांक यादव के साथ ही नीमच फैक्ट्री के कर्मचारी अजीत सिंह और दीपक यादव काफी समय से दलालों के माध्यम से प्रति किसान हजारों रुपये वसूल रहे थे। रिश्वत के बदले अफीम की अच्छी गुणवत्ता बताकर पट्टा और नवीनीकरण किया जाता था और 35 करोड़ रुपये तक वसूली की जानकारी सामने आई है। इसके साथ ही इनकी वसूली राजस्थान के प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, कोटा व झालावाड़ के किसानों के साथ भी चलने लगी थी। इस प्रकार इनका अवैध करोबार तीन राज्योंं में फैल गया था।
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