चंबल में दशहरा पर नही पूजे जाएंगे बंदूक, सालों से चली आ रही परंपरा टूटी

मुरैना। चम्बल की आन-बान और शान का प्रतीक हथियार माना जाता है। चम्बल में लगभग हर तीसरे व्यक्ति के पास लाइसेंसी हथियार (बन्दूक) अवश्य होंगी। पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार चम्बल क्षेत्र में ही है। चम्बल के लोगों को हथियार रखने का बहुत शौक है, यही कारण है कि कई के पास एक से अधिक लाइसेंसी हथियार भी हैं। लेकिन इस बार लोगों में थोड़ी मायूसी भी है, क्योंकि इस बार चम्बल के लोग अपने लाइसेंसी हथियारों का दशहरा पर पूजन नही कर पाएंगे।
इसके पीछे कारण है कि विधानसभा उपचुनाव शांति पूर्ण संम्पन्न कराने की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा सभी लाइसेंसी हथियार धारकों को आदेश जारी कर उनके लाइसेंसी हथियारों को थानों में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में लाइसेंसी हथियारों के शौकीन चम्बलवासियों को दशहरा पर अपनी लाइसेंसी बन्दूकों को पूजन करने का अवसर नही मिलेगा।
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