गुना मामला : गब्बू पारदी के खिलाफ रासुका नोटिस, 50 करोड़ की जमीन पर 30 सालों से कब्जा

गुना। मध्यप्रदेश के गुना जिले के कैंट थाना क्षेत्र की जिस जमीन से कब्जा हटाने के दौरान अनुसूचित जाति के राजकुमार अहिरवार (राजू) व उसके परिवार के साथ पुलिस ने ज्यादती की वह सरकारी जमीन है। लगभग 50 करोड़ रुपये कीमत की इस 45 बीघा जमीन पर गत 30 वर्षों से बसपा की पूर्व पार्षद नागकन्या एवं उनके पति गब्बू पारदी ने कब्जा कर रखा था। इस मामले में खुलासा होने के बाद गब्बू के खिलाफ प्रशासन ने कड़ा रुख इख़्तियार कर लिया है। जिला दंडाधिकारी कुमार पुरुषोत्तम ने गब्बू पार्टी को नोटिस जारी कर दिया। गब्बूा पारदी के विरूद्ध रासुका के तहत नोटिस जारी किया गया है।
नोटिस में उल्लेख है कि गब्बू पार्टी ने अपने साथियों के साथ मिलकर छेड़छाड़, बलवा, सरकारी कार्य में बाधा, घर में घुसकर मारपीट करना, हत्या करना, हत्या का प्रयास करना, रास्ता रोककर मारपीट करना, तोड़फोड़ करना, गाली गलौज एवं जान से मारने की धमकी देने जैसे अपराधों में संलिप्त है।
गब्बू को नोटिस जारी कर कहा गया है कि नोटिस मिलने के बाद 20 जुलाई 2020 तक अपने लिखित स्पष्टीकरण पेश करें। नियत समय अवधि मैं जवाब पेश नहीं करने पर एक पक्षी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई।
क्या था मामला
जिस जमीन पर अविध कब्जे को लेकर विवाद हुआ है गब्बू पारदी ने विवाद के बीच उन्होंने जमीन फसल की बोआई के लिए राजू को दे दी थी। सियासी रसूख के कारण नागकन्या को लंबे समय से प्रशासन बेदखल नहीं कर पा रहा था। यह जमीन शासन ने कॉलेज निर्माण के लिए आरक्षित की है।
मंगलवार को पुलिस एवं प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर कब्जा हटाने की शुरुआत की तो विवाद हो गया। बटाईदार राजू ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया तो उसे लाठियों से पीटा गया। बचाव में उतरी पत्नी पर लाठियां पड़ गई तो राजू ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की, जिससे मामला सुर्खियों में आ गया। दरअसल, राजू को दो साल पहले नागकन्या व गब्बू ने विवादित जमीन बटाई पर दे दी थी। वह उस पर खेती करने लगा।
पहले भी की गई थी कब्जा हटाने की कोशिश
पिछले साल दिसंबर में भी प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। तब पुलिस ने खड़ी फसल को कुचल दिया। तब भी राजू के पास ही बटाई पर यह जमीन थी। फसल नष्ट हो गई, जिससे करीब तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ। खेती के लिए रुपये उधार लिए थे, उस पर ब्याज का चक्र बढ़ता जा रहा था। इसलिए उसने दोबारा इस जमीन में सोयाबीन आदि की बुआई कर दी। इस उम्मीद के साथ कि अच्छी पैदावार होने पर कर्जा चुकाकर विवादित जगह को छोड़ दूंगा, लेकिन 14 जुलाई को जब प्रशासनिक टीम कार्रवाई के लिए पहुंची, तो दोबारा नुकसान होता देख राजू व उसके परिवार ने आत्महत्या का रास्ता अपना लिया। खास बात तो यह है कि इस पूरे घटनाक्रम से गब्बू पारदी और नागकन्या दूर ही रहे। इन दोनों ने राजू के परिवार को आगे कर दिया था।
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