गुरु देव शत शत करूं चरण वंदन, करो कृपा ऐसी कटें कष्ट बंधन....

भोपाल। भारत भवन में पंडित नंदकिशोर शर्मा स्मृति समारोह के शुभारंभ अवसर पर मंगलवार की शाम सांस्कृतिक गायन और वादन की सुमधुर संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें देश के अनेकों स्थान से पधारे शास्त्रीय गायन व वादन में पारंगत कलाकारों ने प्रस्तुति देकर सुर, ताल और लय की जुगलबंदी में कलारसिकों को भावविभोर कर दिया। दो दिवसीय इस समारोह के प्रथम दिन अनूप शर्मा ने अपनी सुमधुर आवाज में संगीत रचना प्रस्तुत की, इसके बाद पंडित राजन मिश्र के सुपुत्र रितेश और रजनीश मिश्र की जुगलबंदी ने समा को संगीतमय बनाया, वहीं अगली कड़ी में कोलकाता से पधारे संदीप चटर्जी के संतूर वादन ने श्रोताओं की खूब तालियां बंटौंरी एवं संगीत से ओतप्रोत इस सभा का समापन दिल्ली से पधारे पंडित उदय कुमार मलिक के गायन से हुआ।
आज स्वर के दीप का लघुदान मेरे देवता लोग....
कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति अनूप शर्मा की रही जिसमें उन्होंने गायन से सजी तीन प्रस्तुतियां दी, जिसमें उन्होंने प्रथम प्रस्तुति मां शारदे वर दे मुझे, तेरे चरण का प्यार दे, भवबंध के तूफान से माता तु मुझको तार दे... की दी, संगीताचार्य पं नंदकिशोर शर्मा की इस रचना में संगीत रचना अनूप शर्मा की रहीं, वहीं अनूप की दूसरी प्रस्तुति गुरु देव शत शत करूं चरण वंदन, करो कृपा ऐसी कटें कष्ट बंधन.... गुरु वंदना की दी जिसमें शब्द रचना, गुरुवर पं नंदकिशोर शर्मा की थी। तृतीय प्रस्तुति के रुप में अनूप ने स्वर आराधना पेश की जिसके बोल थे आज स्वर के दीप का लघुदान मेरे देवता लोग.... थी, इस रचना के गीतकार शंभूनाथ सिंह थे।
रितेश-रजनीश मिश्र की ख्याल जुगलबंदी ने बांधा समा
शास्त्रीय गायन से सजी इस सभा की अलगी कड़ी में पंडित राजन मिश्र के सुपुत्र रितेश-रजनीश मिश्र की जुगलबंदी ने गायन सभा में चार चांद लगा दिए, इन्होंने ख्याल की प्रस्तुति देकर गायन जुगलबंदी का एक निराला अंदाज प्रस्तुत किया। वहीं अगली प्रस्तुति के रुप में कोलकाता से पधारे संतूर वादक संदीप चटर्जी ने संतूर की तान में सुर और वादन की बेहतरीन जुगलबंदी प्रस्तुत की, जिसमें आपने संतूर पर राग झिंझौटी से शुरुआत की, इसके बाद आलाप मुदलय की प्रस्तुति देकर कलारसिकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
संतूर पर झापताल में प्रस्तुत की बंदिश
वहीं अगली कड़ी में संदीप ने संतूर पर झापताल की एक बंदिश प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब तालियां बंटौंरी एवं द्रुत तीन ताल की रचना से संतूर वादन का समापन किया। गीत संगती से सजी इस सभा का समापन दिल्ली से पधारे पंडित उदय कुमार मलिक के गायन से हुआ। जिसमें आपने राग कौशिक कांतारा में धमार रचना की प्रस्तुति देकर गायन से सजी इस संध्या का समापन किया।
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