मध्यप्रदेश के 13 जिलों में लिंगानुपात में अंतर पर स्वास्थ्य मंत्री ने जाहिर की चिंता, कलेक्टरों को दिए ये निर्देश

भोपाल। मध्यप्रदेश के 13 जिलों में बालक बालिका के लिंगानुपात में काफी अंतर पाया गया है। यह अंतर कुछ इस हद तक है कि इन जिलों में आज भी लोग इस अंतर को कोई खास तवज्जो नहीं देते हैं। इसका खुलासा भी पीसी एंड पीएनडीटी की सुपरवाइजरी कमेटी की बैठक में हुआ है। इस पर चिंता जाहिर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने सभी जिला कलेक्टरों से इसके लिए अलग से कार्यक्रम चलाने को कहा है।
बालिकाओं की संख्या कम होना चिंता का विषय
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा है कि जन्म के समय बालक-बालिकाओं के लिंगानुपात में बालिकाओं की संख्या कम होना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के साथ समाज को भी आगे आना होगा। बेटा-बेटी एक समान के संदेश को जन-जन तक पहुचाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी एक दिन पहले मंत्रालय में पीसी एण्ड पीएनडीटी अधिनियम के राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
प्रभावी कदम उठाने की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि प्रदेश में अभी भी कुछ जिले ऐसे हैं जहां जन्म के समय बालक और बालिका के लिंगानुपात में अधिक अंतर है। उन्होंने कहा कि दतिया, सतना, ग्वालियर, रायसेन, सीधी, बुरहानपुर, सीहोर, गुना, देवास, सिंगरौली, पन्ना, हरदा और बड़वानी में लिंगानुपात में अधिक अंतर है। उन्होंने कहा कि इन जिलों में लिंगानुपात में असमानता की खाई को पाटने के लिये प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि स्थानीय जन-प्रतिनिधियों और स्थानीय संगठनों के प्रतिनिधियों के माध्यम से बेटा-बेटी एक समान का संदेश जन-जन तक पहुंचाए। ऐसे जिले, जहां बालिकाओं का लिंगानुपात कम है। इसके लिये स्थानीय प्रतिभाशाली बालिकाओं को ब्रॉण्ड एम्बेसडर बनाकर उनके माध्यम से जागरूकता बढ़ायें।
राशि का उपयोग करने के निर्देश
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट में पंजीयन में किए गए प्रावधान में सोनोग्राफी जांच केन्द्र के पंजीयन से ली जाने वाली राशि का उपयोग बालिकाओं के लिंगानुपात को बढ़ाने में करें। गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक का दुरूपयोग करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
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