जेपी में शुरू हुई गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क, पर्चा बनाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने में मदद करेगी हेल्प डेस्क

जेपी में शुरू हुई गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क, पर्चा बनाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने में मदद करेगी हेल्प डेस्क
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भोपाल। राजधानी के मॉडल अस्पताल जेपी में अब गर्भवती महिलाओं को लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी। गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए बुधवार से अस्पताल में हेल्प डेस्क की शुरूआत की गई है। हेल्प डेस्क के कर्मचारी गर्भवती महिलाओं का पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने तक में मदद करेंगे। एनएचएम की एमडी प्रियंका दास के निर्देश पर बुधवार से यह व्यवस्था लागू हो गई है। बता दें कि जेपी अस्पताल में हर माह औसतन 400 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं। इनमें से 125 से 150 का सीजर होता है बाकी की सामान्य डिलेवरी होती हैं। पर्चा बनवाने, डाक्टर को दिखाने, जांच कराने, रिपोर्ट लेने, पुन: डाक्टर को दिखाने के लिए महिलाओं को पांच-पांच जगह कतार में लगकर घंटों इंतजार करना पड़ता था। तब जाकर एक से डेढ़ दिन में जांच समेत पूरा इलाज होता था। गर्भवती महिलाओं को आने-जाने, कतार में लगने, अपनी बारी का इंतजार करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इन सभी समस्याओं को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र की एमडी प्रियंका दास ने नई व्यवस्था बुधवार से लागू करने के निर्देश दिए।

- पहले से बन जाएगा ओपीडी का पर्चा

प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से आने वाली गर्भवती महिलाओं के पहुंचने से पहले ही उनके पर्चे बनाए जाएंगे। इसके लिए केंद्रों को आनलाइन माध्यमों से संबंधित महिलाओं की जानकारी भेजनी होगी। जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बतायाकि गर्भवती महिलाओं को कोई परेशानी न आए इसके लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है। हेल्प डेस्क के कर्मचारी पर्चा, जांच कराने से लेकर डॉक्टर को दिखाने के साथ हर समस्या में मदद करेंगे।

- पहले यह थी व्यवस्था

- राजधानी से व अन्य जिलों से आने वाली गर्भवती महिलाओं व उनके स्वजनों को ही पर्चा बनवाना पड़ता है।

- जब तक पर्चे नहीं बन जाते थे तब तक जांच व इलाज शुरू हो पाता था। सोनोग्राफी व खून की जांच समेत अन्य जांचें भी नहीं होती है।

- इन तमाम कारणों के कारण देरी हो जाती थी और परिजन परेशान होते हैं।

- यह होगी नई व्यवस्था

हेल्प डेस्क के कर्मचारी गर्भवती महिलाओं को रिसीव करेंगे। उन्हें डाक्टर तक लेकर जाएंगे। इस दौरान दूसरे कर्मचारी पर्चा बनाने में मदद करेंगे। भर्ती कराएंगे, जांच कराने में पूरी मदद की जाएगी। जांच रिपोर्ट तुरंत डाक्टर तक पहुंचाई जाएगी। गंभीर गर्भवती महिलाओं को इलाज में पूरी तरह मदद की जाएगी।

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