कैंसे रखेंगे बच्चे अपने मन की बात, स्कूलों में नहीं हैं शिकायत पेटियां

कैंसे रखेंगे बच्चे अपने मन की बात, स्कूलों में नहीं हैं शिकायत पेटियां
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- बाल आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र, शिकायत पेटियां उचित स्थान पर लगवाने के साथ ही दिए कई सुझाव

भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग कोरोना संक्रमण काल में लगातार प्रदेश के स्कूली बच्चों के लिए नवाचार कर रहा है। लेकिन पुरानी व्यवस्थाओं को लेकर लगातार निर्देशों की अवहेलना होती नजर आ रही है। जिसका ताजा उदाहरण स्कूलों में लगने वाली शिकायत/सुझाव पेटी का है। हाल ही मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जिलों के निरीक्षण के दौरान यह सामने आया है कि कई स्कूलों में शिकायत/सुझाव पेटियां तक नहीं लगाई गई हैं। जिन स्कूलों में पेटियां तो हैं, लेकिन उचित स्थान पर नहीं हैं। जिसके बाद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेशभर के जिला शिक्षा अधिकारियों को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश के साथ ही कई सुझाव भी दिए हैं।

आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि उन्होंने कई जिलों में अपने प्रवास के दौरान स्कूल निरीक्षण के दौरान जो त्रुटियां पाई उसी के आधार पर यह पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि कई शासकीय एवं निजी स्कूलों में निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बच्चों के लिये स्कूल के प्रांगण में लगाई जाने वाली शिकायत / सुझाव पेटी कई जगह लगी नहीं नहीं है। जहां लगी मिली वह जगह उपयुक्त नहीं थी। उन्होने कहा है कि शिकायत पेटी / सुझाव पेटी प्रत्येक स्कूल में उपयुक्त स्थान पर लगाई जाएं। शिकायत पेटी पर प्रमुख नम्बर जैसे- चाइल्ड हेल्प लाइन नम्बर 1098 पुलिस सहायता नम्बर 100 एवं बाल आयोग नम्बर 0755-2559900 अंकित हो। शिकायत पेटी को स्कूल में लगाने के उद्देश्य की जानकारी बच्चों को दी जावे। बच्चों को यह विश्वास दिलाया जाए कि उनकी शिकायत पर यथोचित कार्यवाही होगी तथा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं होगी।

तीन सदस्यीय समिति का हो गठन :

आयोग ने पत्र में कहा है कि शिकायत पेटी माह के प्रथम सप्ताह में किसी भी दिन सुविधानुसार खोली जाएं। शिकायत पेटी को खोलने के लिए तीन सदस्यीय समिति जिसमें शाला प्राचार्य एवं दो अभिभावक प्रमुखता से शामिल हो गठित की जाए। एक पंजी संधारित की जाये जिसमें प्राप्त शिकायतों का विवरण एवं उन पर समिति द्वारा लिए गए निर्णय को अंकित किया जाये एवं बच्चों को प्रात:कालीन सभा में इसकी जानकारी दी जाये। यह सुनिश्चित किया जाये कि इसमें बच्चों का नाम उजागर न हो। निरीक्षणकर्ता को भी उक्त पंजी का अवलोकन कराया जाए जिससे निरीक्षणकर्ता को यह ज्ञात हो सके कि स्कूल प्रबंधन बच्चों की शिकायत के उचित निपटान हेतु संवेदनशील है।

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