शिक्षक पात्रता श्रेणी -3 परीक्षा का प्रश्नपत्र मोबाइल में कैसे गया?

शिक्षक पात्रता श्रेणी -3 परीक्षा का प्रश्नपत्र मोबाइल में कैसे गया?
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केके मिश्रा ने कहा कि पूर्व में भी सुर्खियों में आये घटित व्यापमं घोटाले में भी मुख्यमंत्री के शासकीय आवास में ही रह रहे तत्कालीन ओएसडी प्रेमप्रकाश का भी नाम बतौर आरोपी सामने आया था और उन्हें जिला न्यायालय, भोपाल से अग्रिम जमानत भी करवानी पड़ी थी। मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से .....

मप्र प्राथमिक शिक्षक पात्रता श्रेणी -3 की आनलाइन परीक्षा का प्रश्नपत्र मोबाइल में कैसे पहुंचा? : केके मिश्रा श्रेणी

- कांग्रेस ने किए प्रश्नपत्र व आंसरशीट के स्क्रीनशॉट जारी कर कहा-मोबाइल जब्त कर निष्पक्ष जांच हो

- व्यापमं घोटाले में भी आया था तत्कालीन ओएसडी प्रेमप्रकाश का नाम : केके मिश्रा

भोपाल। मप्र ( MP ) कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ( KK Mishra ) ने व्यापमं ( Vyapam ) के तीसरी बार बदले गए नाम कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा मप्र प्राथमिक पात्रता शिक्षक वर्ग-3 की ली जा रही परीक्षा में प्रश्रपत्र लीक ( form leak ) कर अयोग्य परीक्षार्थियों की पूर्व नियोजित भर्ती का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दूसरा यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि जब परीक्षा आनलाइन हो रही है, इसमें मोबाइल फोन पूरी तरह वर्जित है तो मुख्यमंत्री ( CM ) शिवराजसिंह चौहान ( Shivraj Singh Chauhan ) के मौजूदा ओएसडी ( OSD ) लक्ष्मणसिंह मरकाम ( Laxman Singh Markam ) , जो नौसेना आयुध संगठन में कार्यरत थे, जिन्हें रक्षा मंत्रालय से प्रतिनियुक्ति पर लाकर उपसचिव, मप्र शासन के रूप में पदस्थ किया गया और वे आदिवासी मामलों को देख रहे हैं, के मोबाइल पर 25 मार्च को 35 पृष्ठीय प्रश्नपत्र और आंसरशीट कैसे पहुंची? उनका मोबाइल त्वरित जब्त कर निष्पक्ष जांच कराई जाए।

केके मिश्रा ने कहा कि पूर्व में भी सुर्खियों में आये घटित व्यापमं घोटाले में भी मुख्यमंत्री के शासकीय आवास में ही रह रहे तत्कालीन ओएसडी प्रेमप्रकाश का भी नाम बतौर आरोपी सामने आया था और उन्हें जिला न्यायालय, भोपाल से अग्रिम जमानत भी करवानी पड़ी थी। मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह किया है कि वे कम से कम इस गंभीर मुद्दे की तो ईमानदारीपूर्वक व निष्पक्ष जांच करवाएं ताकि व्यापमं से लेकर मौजूदा कर्मचारी चयन बोर्ड जिसने 10 सालों में 455 करोड़ रु.सिर्फ बेरोजगारों से फीस के रूप में ही वसूले हैं ओऱ जो सिर्फ महाभ्रष्टाचार की शक्ल अख्तियार कर अब तक अपनी छबि तक नहीं सुधार पाया हो, वह योग्य शिक्षित बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ न कर सके।

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