लॉकडाउन बनी मुसीबत, हुनरमंद बुनकर आजीविका के लिए कर रहे हैं संघर्ष

राजगढ़। कोरोना वायरस ने पूरे उद्योग जगत की कमर तोड़कर रख दी है। लॉकडाउन में निर्यात बंद होने के चलते उद्योग बंद हो गए हैं, जिससे हुनरमंद बुनकर आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तो कहीं कितने ही लोग लॉकडाउन में बेरोजगार हो गए हैं। ऐसा ही हाल राजगढ़ जिले के सारंगपुर तहसील के पढ़ाना में हुआ है, जहां हजारों बुनकरों के आगे आज रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है। बुनकरों के सामने जीवन यापन के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
माल बिकने की समस्या
यहां के हुनरमंद बुनकर अपनी मेहनत से सुंदर से सुंदर बेडशीट, पिल्लो कवर, परदे बनाने का काम करते हैं लेकिन अब मेहनत के आगे बेबसी का आलम है। बुनकरों की समिति के संचालक मोहम्मद नवाब अंसारी बताते हैं कि अब अनलॉक के दौरान काम तो शुरू हो चुका है लेकिन यहां तैयार माल कोरोना के कारण बाहर नहीं जा पा रहा है, जिसकी वजह से बिक्री में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
एक्जीबीशन बंद होने के चलते विक्रय की चिंता
बुनकर समिति के संचालक बताते हैं कि जो दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में एक्जीबीशन लगते थे वो कोरोना की वजह से बंद हो गए हैं। जिसके चलते चीजों के विक्रय करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा हैंडलूम उद्योगों के आगे अब बुनकरों को रोजगार देने की समस्या खड़ी हो गई है। अगर ये ही हाल रहा तो बुनकरों के आगे रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। सरकार से मदद की गुहारवहीं सहकारी संस्था संचालित करने वाले उप मैनेजर बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा निर्देशित किया गया था तो काम हो रहा था लेकिन अब धागे की व्यवस्था भी नही हो रही है, जिसके वजह से अब सहकारी संस्था में काम लगभग बंद होने को है और कई मशीनें तो अभी भी बंद है, जहां सरकार द्वारा मजदूरों से लेकर कई गरीबों तक की मदद की गई, लेकिन बुनकरों के लिए कोई भी इस दौरान विशेष योगदान सरकार द्वारा नहीं दिया गया है।
बुनकरों के आगे रोजगार का संकट
सहकारी संस्था के उप मैनेजर का कहना है कि यह बुनकर भी श्रमिक विभाग के अंतर्गत पंजीकृत होते हैं, पर उनको अभी तक सरकार द्वारा इस लॉक डाउन के दौरान कोई भी लाभ नहीं दिया गया है। जिससे उनकी हालत काफी खराब है और वे लगातार अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बुनकरों के लिए कुछ मदद के लिए सरकार से गुहार लगाई है. ताकि बुनकर अपना जीवन व्यापन कर सकें।
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