आंख बंद कर खरीदे जा रहे इम्युनिटी बढ़ाने वाले आयुर्वेद आहार, जांच के निर्देश के बावजूद नहीं लिया एक भी सेम्पल

भोपाल। कोरोना के बाद हुए बदलावों में इम्यूनिटी शब्द आम लोगों के जीवन में एक नया जुड़ गया है। इसकी तलाश में लोग दिन भर बाजार और ऑनलाइन खाद्य पदार्थों को सर्च कर मंगवा भी रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार काफी फल फूल रहा है। कुछ लोगों ने इसमें आयुर्वेद आहार का मिश्रण और कर दिया है। चंद महीनों में ही राजधानी में इसका बाजार करीब 40 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। कई लोग आंख बंद कर इनके उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफलाइन बेच और खरीद रहे हैं। लेकिन आयुर्वेद के नाम से क्या बिक रहा है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। तेजी से फैले इस कारोबार पर लगाम कसने के लिए एफएसएसएआई ने इन उत्पादों की जांच कर सैम्पल लेने के लिए जून माह में खाद्य सुरक्षा विभाग को निर्देश जारी किए थे। लेकिन अभी तक इसका एक भी सैंपल नहीं हुआ।
भारत के राजपत्र में यह प्रकाशन
भारत सरकार का एक राजपत्र भी जारी हुआ है। जिसमें बताया गया है कि आयुर्वेद आहर के नाम से खाद्य सामग्री या अन्य पदार्थ बनाने वालों को अब खाद्य सुरक्षा विभाग से इसका लाइसेंस भी लेना होगा। राजपत्र जारी होने के बाद भोपाल के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने इस संबंध में निर्देश जारी कर कारोबारियों को लाइसेंस लेने कहा है। लेकिन यहां पर किसी ने लाइसेंस के लिए भी आवेदन नहीं किया। अफसरों को खुद भी डिपार्टमेंटल स्टोर या बड़े स्टोरों में जाकर ऐसे खाद्य पदार्थों की जांच करनी थी।
ये खाद्य सामग्री मिली, तो जांच के दायरे में
ग्वार, अरैबिक बबूल, ट्रैका कैंथ गोंद, ग्वार गोंद, पेक्टिन, कराया गोंद, कोंजेक फ्लोर, मांड, शहद, गुड़, खजूर, खजूर का सीरप, खंडसारी, करम्यूनिक, हल्दी, पापरिक, पापरिक सत्त, पापरिक ओलियो रेजन, एन्नाटो सत्त, क्लोरोफिल ए, क्लोरोफिल बी, कैरामल सादा, किसी रंगन सब्जी और फल का सांद्र व जल सत्त। पिसे मसाले, गुलाब का तेल, केवड़ा, रोजमेरी तेलनींबू का सत्त, आटा, दलिया, रवा, मसालों के आसुत तेल। सिट्रिक व टारएरिक एसिड व अन्य को शामिल किया गया है। इनका मिश्रण होने से ही ये खाद्य पदार्थ जांच के दायरे में आ जाएंगे। ये कितने प्रतिशत में होंगे इसका पूरा विवरण भी दिया है।
इस नियम का पालन भी करना था
आयुर्वेद आहार बनाने वालों के लिए देश भर में प्रचलित 71 तरह की प्रमाणित पुस्तकों में बताए गए फार्मूले और उनकी विधि का उपयोग कर ही कोई सामग्री बना सकते हैं। इसमें चरकसंहिता जैसी पुस्तकें शामिल की हैं। ये नुस्खे 1940 से पहले के लिखे मान्य किए गए हैं। इन प्रमाणित पुस्तकों के परिशिष्ट अथवा अनुबंध में शामिल संगटकों और नुस्खों पर आयुर्वेद आहार के रूप में विचार नहीं किया जाएगा।
बिना लोगो बेचने पर करनी है कार्रवाई
एफएसएसएआई ने इनकी बिक्री के लिए लोगो भी बताए हैं। लाइसेंस लेने के बाद वे इन लोगों को लगाने और उत्पाद को बाजार में बेचने की स्थिति में आ जाएंगे। राजपत्र जारी होने के बाद बिना लोगो के कोई भी इस काम को नहीं करेगा।
इनका कहना है-
आयुर्वेद आहार के संबंध में लाइसेंस लेने के निर्देश दिए गए हैं। हम लोग इसके सैंपल नहीं कर पाए हैं। जल्द ही इस मामले में संज्ञान लिया जाएगा।
देवेंद्र दुबे, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, भोपाल
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS