भविष्य में पुराने भोपाल के तालाबों के पानी का हो सकेगा उपयोग

भविष्य में पुराने भोपाल के तालाबों के पानी का हो सकेगा उपयोग
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भविष्य में पुराने भोपाल के तालाबों के पानी का उपयोग नगर निगम द्वारा पेड़-पौधों की सिंचाई, वाहन धाेने और साफ-सफाई जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा। पुराने भोपाल के मोतिया तालाब, सिद्दीक हसन और मुंशी हुसैन खां तालाब की सेहत सुधारने के लिए इनमें मिलने वाले नालों को रोकने की पहल शुरू हो गई है।

भोपाल। भविष्य में पुराने भोपाल के तालाबों के पानी का उपयोग नगर निगम द्वारा पेड़-पौधों की सिंचाई, वाहन धाेने और साफ-सफाई जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा। पुराने भोपाल के मोतिया तालाब, सिद्दीक हसन और मुंशी हुसैन खां तालाब की सेहत सुधारने के लिए इनमें मिलने वाले नालों को रोकने की पहल शुरू हो गई है। इनमें सिद्दीक हसन और मुंशी हुसैन खां तालाब में यहां स्थित अस्पतालों द्वारा मेडिकल वेस्ट छोड़े जाने से इन तालाबों का पानी ई कैटेगिरी का हो गया था, जिसके बाद इन तालाबों को फिर से जीवंत करने की पहल शुरू हुई थी। बता दें कि लॉकडाउन में मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के तत्कालीन संचालक विजय अहिरवार ने दोनों तालाबों के सैंपल लिए थे और निरीक्षण के दौरान पाया था कि सिद्दीक हसन तालाब में अस्पतालों द्वारा सीधे मेडिकल वेस्ट छोड़ा जा रहा है। इससे मुंशी हुसैन खां तालाब पर भी असर पर पड़ रहा था। इस कारण अस्पतालों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति का दंड लगाकर इन मेडिकल वेस्ट के ट्रीटमेंट के लिए ईटीपी लगाने के निर्देश दिए गए थे।

12 तालाबों पर हुआ था जुर्माना :
अहिरवार ने निरीक्षण के दौरान तालाब के ऊपर बने 15 में से 12 तालाबों पर जुर्माना लगाकर ईटीपी लगाने के निर्देश दिए थे। वहीं तालाब के पास स्थित घरों के सीवेज को भी तालाब में छोड़ने के बजाय घरों के शौचालय को सीवेज लाइन के साथ जोड़ने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद अस्पताल संचालकों ने अस्पतालों में ईटीपी लगाए थे और नगर निगम द्वारा सीवेज लाइन निर्मित करवा दी गई थी। इससे तालाब में होने वाले प्रदूषण में कमी आई है और भविष्य में इन तालाबों के पानी का उपयोग सिंचाई और वाहन धाेने जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा।

इन तालाबों के पानी का होगा उपयोग :
वर्तमान में भोपाल के छोटे तालाब, शाहपुरा तालाब, सिद्दीक हसन, मुंशी हुसैन खां और मोतिया तालाब की सेहत सुधारने के लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कवायद शुरू कर दी है। इन तालाबों के पानी का उपयोग 10 वर्ष बाद साफ सफाई, वाहन धाेने और सिंचाई जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा। इस कारण भोपाल के भूजल के प्रदूषण में भी कमी आएगी।

प्रकृति का संरक्षण करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। हमें हमारे शहर के तालाबों का संरक्षण करना चाहिए। यदि इन तालाबों को कोई गंदा करता है तो उस व्यक्ति पर एफआईआर तक हो सकती है। यदि वैज्ञानिक तरीकों से संरक्षण किया जाए तो भविष्य में इन तालाबों के पानी का उपयोग साफ सफाई जैसे कार्यों के लिए हो सकता है।

- विजय अहिरवार, पूर्व संचालक मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल

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