मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूल की तुलना में निजी स्कूलों के अभिभावक बच्चों को पढ़ाई में सहयोग के लिए ज्यादा सक्रिय

भोपाल| पिछले एक वर्ष में घर पर बच्चों को पढ़ाई में मिलने वाला सहयोग कम हुआ है। घर पर पढ़ने में सहयोग मिलने वाले नामांकित बच्चों का अनुपात 2020 में तीन चौथाई से घटकर 2021 में दो तिहाई हो गया है। सहयोग में सबसे ज्यादा गिरावट उच्च कक्षा (कक्षा 9 या अधिक) के बच्चों के लिए आई है। मध्यप्रदेश में निजी स्कूलों के बच्चों को घर पर पढ़ने में ज्यादा सहयोग मिलता है। वर्ष 2021 में सरकारी स्कूलों के 63.9% बच्चों की तुलना में निजी स्कूलों के 71.9% बच्चों को घर पर पढ़ने में घर के सदस्यों का सहयोग मिलता है। यह आंकड़ा हाल ही में जारी की गई असर 2021 रिपोर्ट में सामने आया है।
दरअसल, असर 2021 में, असर 2020 में पूछे गए कुछ प्रश्न दोबारा पूछे गए, कि क्या बच्चे को घर पर पढ़ने में सहयोग मिलता है और यदि मिलता है तो यह सहयोग कौन देता है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को सोलहवीं ऐन्युअल स्टेटस एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण) (एएसईआर) 2021 जारी की गई है। असर 2021 25 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में फोन के आधार पर किए गए सर्वेंक्षण के आधार पर जारी किया गया है। यह सर्वेक्षण कुल 76,706 घरों और 5-16 आयु वर्ग के 75,234 बच्चों तक पहुंच पाया। साथ ही असर ने 7299 प्राथमिक कक्षाओं वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों या मुख्य अध्यापकों का सर्वेक्षण किया।
यह सुझाव आए सामने :
असर 2021 के सुझावों के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते 18 माह से बंद स्कूल फिर खुल रहे हैं, ऐसे में इनके बंद होने के प्रभाव को समझना भी जरूरी है। ताकि इनसे उभरने वाले मुद्दों के समाधान के लिए नीतियां बनाई जा सकें। असर 2021 के अनुसार सरकारी स्कूलों के नामांकन में पिछले दो वर्षों में बढोत्तरी हुई है। इसके लिए सरकारी स्कूलों और शिक्षकों को तैयार करने की जरूरत है। स्कूल खुलने के साथ बच्चों को मिलने वाला पारिवारिक सहयोग 2020 से कम हो गया है, लेकिन यह विशेष रूप से प्राथमिक कक्षाओं के लिए अभी भी महत्वपूर्ण है। शिक्षा की योजनाएं बनाते समय बच्चों की शिक्षा में माता-पिता की भागीदारी को ध्यान में रखना चाहिए। जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित है। माता-पिता के साथ विचार-विमर्श यह समझने के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों की कैसे मदद कर सकते हैं। हाइब्रिड लर्निंग के प्रभावी तरीके को विकसित करने की जरूरत है, ताकि बच्चों को पढ़ाने के आम और नए तरीकों को साथ में लागू किया जा सके। निजी ट्यूशन जाने वाले बच्चों का अनुपात 2018 से स्कूल बंद होने की अनिश्चिता के दौरान बढ़ गया है। यह ट्यूशन का खर्च उठा पाने वाले और न उठा पाने वाले बच्चों के बीच अंतराल बढ़ा सकता है। असर 2021 इस बात को दर्शाता है कि परिवार में स्मार्ट फोन होने पर भी वह अक्सर बच्चों के उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होता। भविष्य में बनाई जाने वाली डिजीटल सामाग्री और रिमोट लर्निंग की योजना में इस बात का ध्यान रखना होगा।
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