बाजार के मुकाबले शताब्दी में दोगुने रेट पर मिल रही खाने की थाली

भोपाल। रानीकमलापति-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस में यात्रियों को दोगुने दामों पर खाना परोसा जा रहा है। दरअसल इस ट्रेन में 185 से 245 रुपए में यात्रियों को जो खाना परोसा जा रहा है, वहीं भोजन खुले बाजार में 110 से 125 रुपए में मिल रहा है। ऐसे में ट्रेन में भोजन का विकल्प लेने वाले यात्रियों के साथ खुलेआम लूट जैसी स्थिति बन रही है। चूंकि ट्रेन में खाने के लिए अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं होता है, ऐसे में जरूरत पड़ने पर लोग ज्यादा दाम चुकाकर यह खाना ले रहे हैं। तो वहीं खाने के साथ मिलने वाले सैनेटाइजर पाउच को वेंडर यात्रियों को नहीं दे रहे है। उसको बचाकर बाजारों में बेच देते है।
एक्जीक्यूटिव क्लास में 245 रुपए लिया जा रहा चार्ज
नई दिल्ली से भोपाल तक यात्रा करने पर वातानुकूलित चेयर कार में यात्रियों से 185 रुपए का शुल्क लिया जाता है। इसमें यात्री को टमाटर सूप के साथ दो ब्रेड स्टिक स्टार्टर के तौर पर दी जाती हैं। इसके बाद मेन कोर्स में दो परांठे, 120 ग्राम दाल, 120 ग्राम पनीर की सब्जी, 100 ग्राम चावल, 80 ग्राम दही व अचार का सैशे दिया जाता है। वहीं मीठे के तौर पर 90 मिली आइसक्रीम का कप दिया जाता है। वहीं एक्जीक्यूटिव क्लास में 245 रुपए का चार्ज लिया जाता है। इसके एवज में स्टार्टर में टमाटर के बजाय मिक्स वेजीटेबल सूप व दो ब्रेड स्टिक दी जाती हैं। मेन कोर्स में यात्रियों को दो परांठे, 150 ग्राम दाल, 150 ग्राम पनीर की सब्जी, 100 ग्राम चावल, 100 ग्राम दही व अचार का सैशे दिया जाता है। इसके अलावा गुलाबजामुन या रसगुल्ला मीठे के तौर पर दिया जाता है। यात्रियों को इसके साथ ही आधा लीटर पानी की बोतल दी जाती है। तो वहीं यहीं खाना राजधानी सहित अन्य जगहों पर कैटरिंग संचालक 185 रुपए का भोजन 110 रुपए में जीएसटी सहित और 245 रुपए का भोजन 125 रुपए में देने के लिए तैयार है। इस हिसाब से शताब्दी में खाना की सुविधा लेने पर यात्रियों को करीब दोगुना चार्ज देना पड़ रहा है।
दूसरे विकल्प है लेकिन परेशानी भी
आइआरसीटीसी द्वारा ट्रेन में ई-कैटरिंग सुविधा का संचालन भी किया जाता है। यात्री चाहें, तो आनलाइन भुगतान कर अपनी पसंद का भोजन आर्डर कर सकते हैं और संबंधित स्टेशन पर यह खाना उनकी सीट तक पहुंचाया जाता है। यात्री आमतौर पर अन्य ट्रेनों में इस सुविधा का लाभ लेते हैं, लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस में इसके उपयोग में व्यवहारिक दिक्कत रहती है। दरअसल, यह ट्रेन चुनिंदा स्टेशनों पर रुकती है। वहां इसका स्टापेज दो से तीन मिनट का ही रहता है। यह समय यात्रियों के चढ़ने-उतरने में खर्च हो जाता है। इसके चलते भोजन सीट पर आने में संशय की स्थिति बनी रहती है।
चार्ज रेलवे बोर्ड द्वारा तय किया जाता है
ट्रेनों में भोजन के मेन्यू से लेकर उसकी राशि रेलवे बोर्ड द्वारा तय की जाती है। यात्री की मर्जी है कि वह भोजन लेना चाहता है या नहीं। जहां तक कैटरिंग चार्ज की बात है, तो यात्रियों के सुझावों के आधार पर उनमें फेरबदल किया जाएगा।
आनंद कुमार झा, जनसंपर्क अधिकारी आइआरसीटीसी
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