अगले छह महीने में ट्रेनों के जनरल सहित सभी श्रेणी कोचों में लगेंगे फायर एक्सटिंग्युशर, ब्रेल साइनिंग नंबर भी लिखे जाएंगे

कपिल श्रीवास्तव. भोपाल
कोरोना काल में ट्रेनें की संख्या कम होने के साथ ही रेलवे खुद को तेजी से अपडेट करने में लगा हुआ है। यह बदलाव यात्रियों की सुविधाओं और सुरक्षा दोनों के लिहाज से है। इसके तहत अब रेलवे (indian railway) एक बड़ा परिवर्तन स्लीपर और सामान्य कोचों में भी आधुनिक फायर एक्सटिंग्युशर (fire extinguishers) लगाकर करने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अभी तक केवल एसी कोच में यह सिस्टम हुआ करता था। इतना ही नहीं जो यात्री देख नहीं सकते, उनकी भी चिंता की जा रही है। इनके लिए बोगियों में ब्रेल साइनिंग नंबर (braille signing numbers) लगाए जा रहे हैं, ताकि वे छूकर अपना सीट नंबर जान लें। वहीं, एसी कोच के गेट को दोनों ओर खोले जाने वाला बनवाया जा रहा है, जो कि ज्यादा सुविधाजनक होगा। खास यह है कि इन तमाम सुविधाओं के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा, अगले छह महीने में आप इन्हें देखेंगे। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अनुसार आगजनी की ज्यादातर घटनाएं एसी कोच में होती हैं। अब इस सोच को रेलवे ने बदल दिया है। रेल मंत्रालय ने सभी 17 रेलवे जोन को निर्देश भेजे हैं। रेलवे बोगियों में एक्सटिंग्युशर लगाने की शुरूआत छह महीने में हो जाएगी।
पहले चरण में जोन के 150 कोच में ब्रेल साइनिंग
नेत्रहीन यात्रियों के लिए अब ट्रेनों में अपनी बर्थ ढूंढ़ने में परेशानी नहीं होना पड़ेगा। उनकी सुविधा के लिए एसी और स्लीपर कोच की बर्थ पर ब्रेल साइनिंग बनवाने जा रहा है। बर्थ नंबर सामान्य के अलावा उभरी आकृतियों में भी लिखे जाएंगे। यह सुविधा सभी ट्रेनों में लागू होगी। पश्चिम मध्य रेलवे में पहले चरण में ट्रेनों की करीब 150 बोगियों को शामिल किया जाएगा। इसमें दोनों श्रेणी के कोच होंगे।
चोरी की तो बजेगा सायरन
स्लीपर और सामान्य कोच में लगाए गए अग्निशमन यंत्र चोरी न हों, इसके लिए रेलवे इसमें एंटी पिल फ्रेज डिवाइस लगाएगा। इसे चुराने की कोशिश करने पर डिवाइस के माध्यम से अपने आप सायरन बजने लगेगा। इसका पता सुरक्षा अमले को चल जाएगा। डिवाइस को चार्ज करने बैटरी भी लगी होगी।
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