Independence Day Special: देश आजाद होने के बाद भी भोपाल 22 महीने नहीं रहा भारत का हिस्सा!

Independence Day Special: देश आजाद होने के बाद भी भोपाल 22 महीने नहीं रहा भारत का हिस्सा!
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अंग्रेजों की गुलामी से भारत देश को आजाद हुए 76 साल हो चुके है। आज पूरे भारत में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। भारत देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन भारत का एक राज्य ऐसा भी था जो 22 महीनों तक देश का हिस्सा नहीं रहा। और वो राज्य कोई और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश था।

Independence Day Special: अंग्रेजों की गुलामी से भारत देश को आजाद हुए 76 साल हो चुके है। आज पूरे भारत में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। भारत देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन भारत का एक राज्य ऐसा भी था जो 22 महीनों तक देश का हिस्सा नहीं रहा। और वो राज्य कोई और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश था।

जी हां देश को आजादी मिलने के बाद भी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को 22 महीनों तक आजादी नहीं मिली थी। भोपाल को 1 जून 1949 में आजादी मिली थी। भोपाल को आजादी नहीं मिलने के पीछे एक कहानी है, जो भोपाल रियासत से जुड़ी हुई है।

क्या है कहानी?

दरअसल, 15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ था। उस समय भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह थे जो नेहरू और जिन्ना के करीब हुआ करते थे। भारत को आजाद करने का फैसला लिया जा रहा था उस दौरान नवाब हमीदुल्लाह भारत में विलय के पक्ष में नहीं थे। वह भोपाल पर शासन करना चाहते थे। 1948 में भोपाल के नवाब ने भोपाल रियासत को स्वतंत्र रहने की घोषणा कर दी और एक मंत्रिमंडल घोषित कर दिया। इसके बाद भोपाल में विद्रोह भड़क उठा।

सरदार वल्लभ भाई पटेल हुए एक्टिव

भोपाल में भड़की विद्रोह की चिंगारी को देखते हुए देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल नवाब को एक संदेश भेजा। पटेल ने संदेश में साफ तौर पर कहा था कि भोपाल स्वतंत्र नहीं रह सकता है। भोपाल को मध्यभारत का हिस्सा बनना ही होगा। इसके बाद करीब तीन महीनों तक आंदोलन हुआ और आखिरकार नवाब हमीदुल्ला ने 30 अप्रैल 1949 को अपने घुटने टेक दिए।

नवाब ने किए विलीनीकरण पर हस्ताक्षर

सरदार पटेल की सख्ती के बाद नवाब हमीदुल्ला ने विलीनीकरण पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसक बाद भोपाल को आजादी मिली। करीब ढाई साल की मशक्कत के बाद 1 जून 1949 में आजादी मिली थी। और भोपाल का भारत में विलय हुआ।

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