mp election 2023: मध्यप्रदेश में ‘किंगमेकर’ हो सकते हैं निर्दलीय

MP ELECTION2023: भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कई बागियों ने बगावत की है। इसका नतीजा है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने चुनौती है। तीसरे चेहरे पर भी जनता भरोसा जता सकती है। ऐसी स्थिति कई अहम सीटों पर बनी है, जो कांग्रेस और भाजपा के पास लंबे तक रिजर्व के तौर पर रही हैं।
मप्र में 2018 के विधानसभा चुनाव के जब नतीजे आए थे तो भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी। एमपी में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में किंगमेकर की भूमिका में निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायक थे। रिजल्ट से पहले एक बार फिर 2018 वाली स्थिति को लेकर पूवार्नुमान लग रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस समेत प्रदेश के लोगों की नजर निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों पर टिक गई है। पूरे प्रदेश में ऐसे चेहरों की संख्या सात से आठ हो सकती है। दरअसल, 3 दिसंबर को एमपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। वोटिंग से पहले आए ओपिनियन पोल में दोनों में से कोई दल बहुमत के आंकड़े के करीब नहीं पहुंच रहा था। एमपी में सट्टा बाजार भी इसी ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस इन्हें साधने की जुगत में जुट गई है। इनमें से अधिकांश चेहरे इन्हीं दलों से बागी होकर मैदान में हैं।
सीधी में शुक्ला बढ़ा सकते हैं भाजपा की परेशानी
वहीं, पेशाबकांड की वजह से भाजपा ने इस बार अपने सीटिंग विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया था। उनकी जगह सांसद रीति पाठक को टिकट दिया है। सीधी में केदारनाथ शुक्ला ने रीति पाठक की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालांकि चर्चा यह भी है कि केदारनाथ शुक्ला अगर टक्कर दिए होंगे तो कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
चौधरी, राजू और रघुवंशी भी कांग्रेस के लिए कम नहीं
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में करीब एक दर्जन विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां छोटे दल और निर्दलीय बड़े दलों का खेल खराब कर सकते हैं। इनमें गोटेगांव से कांग्रेस के बागी शेखर चौधरी निर्दलीय लड़ रहे हैं। सिरमौर में बीएसपी ने भाजपा उम्मीदवार की चुनौती बढ़ा दी है। धार में भाजपा के बागी राजू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सिवनी मालवा में ओम रघुवंशी निर्दलीय मैदान में हैं। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
महू में दरबार के लगने की ज्यादा उम्मीद
महू विधानसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है। वहीं, सबसे ज्यादा चर्चा अंतर सिंह दरबार की हो रही है। अंतर सिंह दरबार कांग्रेस में रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। कहा जा रहा है कि महू में अंतर सिंह दरबार का पलड़ा भारी दिख रहा है।
कांग्रेस के साथ जाएंगे गुड्डू या फिर घर बैठेंगे
कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू भी आलोट विधानसभा चुनाव से टिकट चाहते थे। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वह निर्दलीय अलोट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी से इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर कई आरोप लगाए थे। इन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है। प्रेमचंद्र गुड्डू भाजपा में भी रह चुके हैं।
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