International Women's Day 2021 : 'बंधनों को तोड़ें और दुनिया को बताएं असीमित है महिलाओं की ताकत...'

मनोज रजक. सतना. कभी घरवालों को बिना बताए एयरफाेर्स के लिए आवेदन करनी वाली अवनी चतुर्वेदी उन तीन महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें वायुसेना ने पहली बार वीमन फाइटर पायलट घोषित किया था। रीवा मप्र की अवनी चतुर्वेदी के साथ ही मोहना सिंह और भावना कांत भी इस बैच में शामिल थीं। यह महिला फाइटर पायलट का पहला दस्ता था। इस दस्ते में से सबसे पहले फाइटर जेट अवनी ने उड़ाया। अकेले मिग-21 बाइसन विमान उड़ाकर पहली महिला फाइटर पायलट बनने का कीर्तिमान उन्होंने स्थापित किया।
यह रास्ता इतना आसान था? बिल्कुल नहीं। एक फाइटर जेट उड़ाने के लिए जो मापदंड तय थे उन्हें पूरा करना ही था। सिर्फ इसलिए कि अवनी एक महिला है, कोई रियायत नहीं मिली। अवनी ने हरिभूमि से कहा-प्रकृति ने महिला और पुरुषों को समान बनाया है। खासतौर पर महिलाओं को धैर्य असीमित दिया है। महिलाओं में सहनशीलता, जज्बा और हिम्मत भी पुरुषों से कम नहीं होता है। जब प्रकृति ने हमें बराबर के बनाया है तो खुद को महिलाएं कमतर क्यों आंकें। दुनिया अब महिलाओं के लिए अवसरों का हर दरवाजा खोल रही है। महिलाओं की जिम्मेदारी है कि बंधनों को तोड़ें और दुनिया को बताएं, साबित करें कि उनकी ताकत असीमित है। मैंने भी वही किया।
मिशन की सफलता ने बढ़ाया आत्मविश्वास, भाई भी आर्मी कप्तान
अवनि बताती हैं कि जब पहली बार उड़ान भरी थी तब सुखद अनुभूति हुई। आत्मविश्वास बढ़ा और मिशन में सफल रही। कोई भी कार्य कठिन नहीं होता सिर्फ मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है। मैं वह पल कभी नहीं भूल सकती, जब मैंने मिग- 21 में उड़ान भरी थी। अवनी के पिता दिनकर प्रसाद चतुर्वेदी रीवा में मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग में तैनात हैं। उन्होंने हरिभूमि को बताया, अवनि का भाई भी आर्मी में कैप्टन है। चाचा सहित परिवार के कई सदस्य आर्मी के जरिए देश सेवा में जुटे हैं। इसी वजह से अवनि ने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है और उसे यह जिंदगी पसंद है।
उद्देश्य लेकर चलें लड़कियां
अवनि वर्तमान में राजस्थान एयरफोर्स में श्री गंगानगर जिले के सूरत नगर गढ़ में तैनात है। इस उड़ान के साथ ही उन्होंने साबित कर दिया था कि महिलाएं अब वह सब कुछ करने में सक्षम हैं, जिनसे अभी तक महिलाओं को दूर रखा जाता रहा है। अवनि का कहना है कि किसी उद्देश्य को लेकर चलें और मेहनत करें तो सफलता जरूर मिलती है। वह मूलत: सतना जिले के कोठी तहसील के कंचनपुर की रहने वाली हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई शहडोल जिले के देवलोन में स्थित आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पूरी हुई। इसके बाद बीटेक वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान में पूरी की।
कल्पना चावला हैं आदर्श : कल्पना चावला की स्पेस शिप क्रैश में मौत की खबर को टीवी पर देखकर उनकी मां सविता रोने लगी थीं। तब अवनी ने कहा था, मां रो मत। मैं अगली कल्पना चावला बनूंगी। आखिरकार उन्होंने इस वादे को पूरा किया। घरवाले बताते हैं कि अवनी बचपन से ही पंछी की तरह होना चाहती थी। उन्होंने घर में बिना किसी को बताए बिना ही एयरफोर्स के लिए आवेदन दिया था। चयन होने के बाद ही परिजनों को इस बारे में जानकारी मिली थी।
पुरुषों के सारे मापदंड पूरे किए
अवनी ने गुजरात के जामनगर एयरवेज से रूस में बने मिग-21 में उड़ान भरी थी। लेकिन यहां तक पहुंचने की अवनी की राह कभी भी आसान नहीं रही। महिला होने के नाते भी उन्हें कभी भी किसी तरह की कोई छूट नहीं मिली। फीजिकल फिटनेस, मेंटल रोबस्टनेस या दूसरे किसी भी टेस्ट में कोई रियायत नहीं दी गई। जो मापदंड पुरूषों के लिए निर्धारित थे, वे ही उनके लिए भी थे। अवनि ने खुद को सभी पैमाने में फिट साबित किया।
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