JP Hospital Bhopal : जेपी अस्पताल में बनेगा बॉटनिकल गार्डन, क्यूआर कोड बताएगा पौधों के औषधीय गुण

JP Hospital Bhopal : जेपी अस्पताल में बनेगा बॉटनिकल गार्डन, क्यूआर कोड बताएगा पौधों के औषधीय गुण
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राजधानी के मॉडल अस्पताल जेपी में जल्द ही बॉटनिकल गार्डन तैयार किया जाएगा। इस गार्डन में 400 से भी ज्यादा औषधीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे।

भोपाल। राजधानी के मॉडल अस्पताल जेपी में जल्द ही बॉटनिकल गार्डन तैयार किया जाएगा। इस गार्डन में 400 से भी ज्यादा औषधीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। हालांकि इसकी शुरूआत 20 पौधों से होगी धीरे धीरे इन पौधों की संख्या बढ़ाई जाएगी। दरअसल एनएमसी ने सभी जिला अस्पतालों में बॉटनिकल गार्डन तैयार करने को कहा है। यही नहीं कायाकल्प अभियान के तहत भी बॉटनिकल गार्डन को मेंडेटरी माना जाता है। हर्बल गार्डन बनाने की प्रक्रिया डेढ़-दो महीने में शुरू हो जाएगी। मालूम हो कि हाल ही में जेपी अस्पताल में सभी डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में एक हजार पौधे लगाने का संकल्प लिया था। इस गार्डन की खास बात यह है कि हर पौधों पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। इसमें पौधे के औषधीय गुणों के बारे जानकारी होगी। कोई भी व्यक्ति कोड स्कैन कर पौधों की जानकारी ले सकेंगे।

इन प्रजातियों के पौधे रोपेंगे

गुडुची, यष्ठिमधु, कुष्ठ, सारिवा, मदनफल, त्रिवृत, जीमूलक, कम्पिल्लक, विडगं, जटामांसी, गुग्गुलु, वासा, रास्ना, शल्लकी, पिप्पली, चित्रक, कालमेघ, पुनर्नवा, पर्पट, जीवक, मेषश्रृंगी, ब्राह्मी, आमलकी, बिल्व, बला, गम्भारी, कुटज, शटी और अग्नि मंथ आदि।

मरीज और परिजन जान सकेंगे पौधों

हर्बल गार्डन में देशभर में पाए जाने वाले औषधीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। इससे अस्पताल में आने वालीे मरीजों और उनके परिजनों को औषधीय पौधों के बारे में जानकारी मिलेगी। अब तक लोग ये पौधे सिर्फ किताबों या फिर इंटरनेट के माध्यम से देख पाते हैं।

जल्द ही गार्डन लेगा आकार

जेपी अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि एनएमएसी की गाइडलाइन के मुताबिक हम बॉटनिकल गार्डन तैयार कर रहे हैं। अभी क्यूकार कोड तैयार किए जा रहे हैं। जल्द ही गार्डन आकार लेने लगेगा।

पहले पौधे ही थे विभिन्न बीमारियों के उपचार का एकमात्र समाधान

शिवाजी नगर आयुर्वेद अस्पताल के आरएमओ डॉ. सुधीर पांडे ने बताया कि पुराने समय में बीमारियों के उपचार का एकमात्र साधन पौधे ही थे। इन पौधों को प्राकृतिक रूप में, अर्क या चूर्ण के रूप में कूट, पीसकर प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब आज के समय में औषधीय पौधों पर खोज करके अब इनके क्रियाशील तत्त्वों को पहचान और निकाल कर प्रयोग किया जाने लगा है। ऐलोपैथिक दवाइयां जहां एक ओर तीव्र असरदार होती है, वहीं दूसरी ओर इसके घातक प्रभाव भी दिखाई देते हैं।

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