कर्नाटक में कही गई बात को लेकर कमलनाथ ने शिवराज को घेरा, जानिए क्या है मामला और लगाया क्या आरोप

कर्नाटक में कही गई बात को लेकर कमलनाथ ने शिवराज को घेरा, जानिए क्या है मामला और लगाया क्या आरोप
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'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' की तर्ज पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री चौहान ने कर्नाटक की सभाओं में जाकर कहा कि मप्र में कांग्रेस की सरकार ने वादे के अनुसार किसानों का कर्ज माफ नहीं किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ झूठे वादे करती है। इधर मप्र में कमलनाथ ने जवाब देने में देर नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कर्नाटक में भी जाकर झूठ बोल रहे हैं क्योंकि उनकी ही सरकार विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है कि कांग्रेस सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था।

भोपाल। 'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' की तर्ज पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री चौहान ने कर्नाटक की सभाओं में जाकर कहा कि मप्र में कांग्रेस की सरकार ने वादे के अनुसार किसानों का कर्ज माफ नहीं किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ झूठे वादे करती है। इधर मप्र में कमलनाथ ने जवाब देने में देर नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कर्नाटक में भी जाकर झूठ बोल रहे हैं क्योंकि उनकी ही सरकार विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है कि कांग्रेस सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था।

कमलनाथ ने यह लिखा ट्वीट में

कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा कि लगता है शिवराज जी ने कसम खा ली है कि वह किसानों के मामले में हर रोज एक नया, हास्यास्पद और बे-सिर-पैर का झूठ बोलेंगे। 2 दिन पहले रीवा में उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी से अधिक कर दी है। जब जनता ने पूछा की रिपोर्ट दिखाओ तो मध्य प्रदेश की सीमा लांघ कर कर्नाटक में झूठ बोलने पहुंच गए। वहां कह रहे हैं कि मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी नहीं की गई। जबकि मध्यप्रदेश विधानसभा के पटल पर उनकी सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि प्रदेश में 27 लाख किसानों की कर्ज माफी कांग्रेस सरकार ने की। सदन में बोली गई बात को दूसरे प्रदेश में जाकर झूठा बताना क्या मध्यप्रदेश विधानसभा की अवमानना नहीं है, क्या यह मध्य प्रदेश की जनता का अपमान नहीं है, क्या यह जनमत की मानहानि नहीं है?


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