कश्मीर फाइल्स में कश्मीर के बारे में काफी कुछ बताया, पर पूर्वी भारत में 1947 व 1971 में क्या हुआ, इसे किसी ने अब तक नहीं बताया

भोपाल। केंद्रीय विदेश मामले तथा संस्कृति राज्य मंत्री सुश्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कश्मीर फाइल्स में कश्मीर के बारे में काफी कुछ बताया गया। किंतु पुरातन संस्कृति के बारे में यह नहीं बताया गया कि कश्मीर में कितनी महिला शासक थीं? अभी एक दिन पहले वे सिलचर में थीं, यहां 1947 व 1971 में जो कुछ हुआ, भारत के इस हिस्से के बारे में किसी को नहीं पता है। आज भोपाल में मिश्र जी के बारे में पता कर रही थीं, वह पता नहीं था। यह हमारी कमजोरी है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री सुश्री लेखी विश्व धरोहर दिवस पर रविंद्र भवन सभागार में एक दिवसीय परिसंवाद को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, अमृत काल में भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है। जब हम पहचानेंगे नहीं, तब तक जानेंगे कैसें। सब कुछ सुनने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मुझे हमारे इतिहास के बारे में सच में नहीं बताया गया। युवाओं को भारत के स्वर्णिम इतिहास से परिचय कराना सबसे ज्यादा जरूरी है कि दासता के हजारों सालों के इतिहास में आक्रमण और हिंसा झेलने के बाद भी भारतीय संस्कृति जीवित है। यह हमारे पुरुषार्थ की उपलब्धि है। मंत्री सुश्री लेखी ने भारतीय संस्कृति में महिलाओं के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व में महिलाओं को समानता का अधिकार देने की बात होती है, लेकिन भारतीय संस्कृति में अनादि काल से ही महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है। महिलाओं ने विदुषी, क्रांतिकारी, शासिका, लेखिका आदि अनेक रूपों में भारत के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
इस मौके पर मप्र की संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि कालजयी विश्व विजयी भारतीय संस्कृति के गौरवशाली इतिहास से भावी पीढ़ी का परिचय कराया जाना आवश्यक है। इस दौरान प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में ही सुरेश मिश्र फाउंडेशन की विस्तृत जानकारी दी गई।
मप्र की संस्कृति मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि कालजयी विश्व विजयी भारतीय संस्कृति के गौरवशाली इतिहास से भावी पीढ़ी का परिचय कराया जाना आवश्यक है। इतिहास और संस्कृति के संचार से ही भावी पीढ़ी में सद्गुणों और संस्कारों का विकास होगा। उन्होंने सभी से वैदिक जीवन पद्धति को अपनाने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि हिंदू जीवन पद्धति विश्व की श्रेष्ठ पद्धति है। यह वैज्ञानिक कसौटी पर खरा उतरती है। अपने घरों में प्रतिदिन सुबह और शाम अग्निहोत्र की आहुतियां दें और दुर्गा सप्तशती के स्रोतों का पाठ करें। इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। साथ ही 'आजादी का अमृत महोत्सव' पर घर की बैठकों में वीर क्रांतिकारियों और महापुरुषों के चित्र लगाएँ। यह चित्र परिवार के सदस्यों में चरित्र का निर्माण करेंगे और प्रेरणा देंगे।
मप्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्व में पहचाना जाएगा-
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नन्द कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में पहली बार भारत का सही चित्रण विश्व पटल पर हुआ है। भारत और मप्र अब ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्व में पहचाना जाएगा। 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' पर कुमार ने सभी युवाओं से भारत का समग्र स्वर्णिम इतिहास पढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास लिखते समय कुछ विशेष लोगों पर ही ध्यान दिया गया और अन्य महत्वपूर्ण योगदानों को इतिहास का हिस्सा नहीं बनाया गया। इसलिए इतिहास को पढ़ते समय सभी के योगदान को पढ़ा जाना आवश्यक है। उन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार आरसी मजूमदार की हिस्टोरिकल स्पीच का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं है। यह आदिकाल से भारतीय संस्कृति की यात्रा है। भारत का इतिहास ऐतिहासिक इमारतों के साथ संस्कृति, परंपराएं, संस्कार और जीवन मूल्यों को संजोए हुए है।
प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला ने परिसंवाद के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परिसंवाद, आम नागरिक को धरोहरों से जोड़ने, संरक्षण के लिए जागरूक करने और पुरातत्वविदों का मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए किया गया है। परिसंवाद, संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय और स्वराज संस्थान की ओर से सुरेश मिश्र फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। लेखक विजय मनोहर तिवारी की ओर से लिखित पुस्तक "जागता हुआ कस्बा" का विमोचन किया गया। साथ ही GIFLIF संस्था के सहयोग से हेरिटेज वॉक का शुभारंभ और सुरेश मिश्र फाउंडेशन के कार्यों पर केंद्रित लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। परिसंवाद में पद्मश्री केके मुहम्मद और कपिल तिवारी, श्रीमती प्रियंका मिश्रा और विजय मनोहर तिवारी ने धरोहरों के महत्व और उनके संरक्षण पर केंद्रित विचार रखें। आयुक्त पुरातत्व श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने आभार माना।
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