सरकारी जमीनें बचाने बनाया लैंड बैंक, एक क्लिक पर मिल रही जानकारी

सरकारी जमीनें बचाने बनाया लैंड बैंक, एक क्लिक पर मिल रही जानकारी
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राजधानी में सरकारी जमीनों को अवैध कब्जों से बचाने की कवायद शुरु हो गई है, दरअसल वर्तमान में सरकारी जमीनों पर झुग्गी माफिया और अन्य लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लेते हैं। पक्का निर्माण होने की वजह से इन अवैध निर्माणों को हटाने में दिक्कत आती है।

जमीन आवंटन में हो रही आसानी

भोपाल। राजधानी में सरकारी जमीनों को अवैध कब्जों से बचाने की कवायद शुरु हो गई है, दरअसल वर्तमान में सरकारी जमीनों पर झुग्गी माफिया और अन्य लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लेते हैं। पक्का निर्माण होने की वजह से इन अवैध निर्माणों को हटाने में दिक्कत आती है। इधर जब भी कोई प्रोजेक्ट के लिए जमीन की डिमांड आती है, सभी एसडीएम को अपने-अपने क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन की तलाश करना पड़ती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए आॅनलाइन साफ्टवेयर लैंड बैंक बनाने के आदेश दिए हैं, जिसके तहत एक क्लिक पर पूरा डेटा सामने आ जाएगा। जिला स्तर पर लंड बंक बनाने का काम शुरु कर दिया गया है।

सभी तहसील और सर्किल के एसडीएम उनके क्षेत्र में खाली सरकारी जमीन को चिन्हित करने के साथ जमीन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसका नक्शे के माध्यम से मैपिंग की जा रही ह। जिसका रिकार्ड आॅनलाइन कर दिया जाएगा। जिससे खाली सरकारी जमीन का आॅनलाइन रिकार्ड तैयार हो जाएगा। यह लैंड बैंक उस समय काम आएगा जब कोई प्रोजेक्ट मिलेगा तो उसे तत्काल बताया जा सकता है कि हमारे पास यहां जमीन खाली है। इस लैंड बैंक में कलर कोडिंग के जरिए सरकारी जमीनें चिन्हित की जाएंगी। जिसका रिकॉर्ड बाद में आॅनलाइन कर दिया जाएगा। इसके लिए जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी एक साफ्टवेयर बनाया गया है, जिसमें सभी आरआई और पटवारियों को अपने क्षेत्र में खाली पड़ी सरकारी जमीनों की जानकारी एक एक्सेल सीट बनाकर गूगल मैप के साथ अटैच कर अपलोड करेंगे। यह व्यवस्था होने के बाद एक क्लिक में खाली जमीन आवंटित कर दी जाएगी। कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना है कि जमीनों का रिकार्ड मैंटेन करने के लिए लैंड बैंक बनाया जा रहा है। ऐसा करने से सरकारी जमीनों की जानकारी आॅनलाइन मिल जाएगी।

चार साल से चल रही कवायद

इसके पहले मुख्य सचिव ने तत्कालीन कलेक्टर डॉ सुदाम खाडे से जिले की सरकारी जमीनों की जानकारी मांगी थी। आनन-फानन में तुरंत जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद कलेक्टर ने आॅनलाइन लैंड बैंक बनाकर समस्त जानकारी जुटाने के निर्देश दिए। दूसरे ही दिन एक एप बनाकर जानकारी एकत्रित करने का काम शुरू किया गया, लेकिन आज तक यह जानकारी एकत्रित नहीं हो पाई।

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