बैठकें कम और विधानसभा में कम बैठना दोनों ही चिंता का विषय : ओम बिरला

भोपाल। लोकसभा के अध्यक्ष ( Speaker of Lok Sabha ) ओम बिरला ( Om Birla ) बुधवार को एक दिवसीय प्रवास पर भोपाल ( Bhopal ) आए। इस दौरान बिरला राजधानी भोपाल के विधानसभा परिसर ( assembly premises ) में आयोजित संसदीय उत्कृष्टता पुरस्कार ( Parliamentary Excellence Award ) वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। बिरला ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी सदन में कम बैठकें होना या सदस्यों का कम बैठना, यह दोनों ही चिंता का विषय हैं। इससे आम जनता की समस्याओं के समाधान करने में न्याय नहीं हो सकेगा। सभी पक्षों को मिलकर इस समस्या का हल निकालना चाहिए। कार्यक्रम में मप्र विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, विस के प्रमुख सचिव एपी सिंह मंच पर आसीन थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हम आजादी का 75 वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। देश में लोकतंत्र को शसक्त और मजबूत व जवाबदेह बनाने की जरूरत है। 75 साल की यात्रा में जनता का विश्वास लोकतंत्र में बढ़ा है। इसे कायम रखते हुए लोकतांत्रिक संस्थाओं को और जवाबदेह बनाने की जरुरत है। दुनिया में लोकतंत्र ही शासन चलाने की सबसे अच्छी पद्यति है। भारत के लोकतंत्र की महत्वपूर्ण विशेषता है कि यहां सत्ता का हस्तांतरण सहज हो जाता है। वरना दूसरे देशों में सत्ता हस्तांतरण के दौरान असंतोष होता है। इस व्यवस्था का श्रेय संविधान निमार्ता मनीषियों को जाता है। देश में बहु दलीय राजनीतिक व्यवस्था है। यहां हर दल को समय- समय पर विचारधारा के अनुरूप देश की सत्ता चलाने का मौका जनता ने दिया है।
सदस्यों के आचार व्यहार को लेकर सम्मेलनों में भी उठ रहीं चिंताएं -
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जब हम लोकसभा या विधानसभा के सदन की बात करें तो सदस्यों के आचार, व्यवहार व अनुशासन को लेकर लगातार चिंताएं उठ रहीं हैं। विगत दिनों विधानमंडलों के सम्मेलन के दौरान भी पीठासीन अधिकारियों ने इस तरह की चिंता जाहिर की थी। इस कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री ने इस बात पर चिंता जताई है। ऐसी चिंताओं का समाधान सामूहिक प्रयास से होना चाहिए।
सदन की मयार्दा गिरने से बचाएं -
बिरला ने कहा कि सदन के अंदर पक्ष विपक्ष से परे हटकर सबको सामूहिक प्रयास से सदन की मयार्दा गिरने से बचाने के प्रयास करना चाहिए। नहीं तो इससे न केवल सदन की मयार्दा गिरेगी, बल्कि लोकतंत्र भी कमजोर होगा। अभी तक मप्र का एक उदाहरण दिया जाता है कि यहां सदन में पक्ष-विपक्ष, तर्क - वितर्क गरिमा का ध्यान रखते हुए होते हैं। इस गरिमा को बनाए रखना चाहिए। एक और बात सामने आ रही है सुनियोजित तरीके से विरोध किया जा रहा है, यह न्यायपूर्ण नहीं है।
मिश्रा, देवड़ा और भूपेंद्र सहित विधायकों को मिले उत्कृष्टता पुरस्कार -
कार्यक्रम के दौरान मंत्री, विधायक, विस के अधिकारी आदि को उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मप्र के पहले मुख्यमंत्री रहे स्व. रविशंकर शुक्ल की स्मृति में तीन मंत्रियों डॉ नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह व जगदीश देवड़ा को उत्कृष्ट मंत्री सम्मान से नवाजा गया। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की स्मृति में उत्कृष्ट विधायक सम्मान से झूमा सोलंकी, यशपाल सिंह सिसौदिया, जयवर्धन सिंह एवं बहादुर सिंह चौहान को सम्मानित किया गया। इसके अलावा विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को उत्कृष्ट संसदीय सेवा सम्मान से पुरस्कृत किया गया।
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