Lumpy Virus: MP में फिर बढ़ा लंपी वायरस का प्रकोप, प्रदेश के 33 जिले प्रभावित, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर

Lumpy Virus: MP में फिर बढ़ा लंपी वायरस का प्रकोप, प्रदेश के 33 जिले प्रभावित, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर
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मध्य प्रदेश में एक बार फिर लंपी वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा है। जिसकी वजह से अब प्रदेश के अधिकतर पशु में ये बीमारी फैल चुकी है। खास तोर पर राजधानी भोपाल में, बता दें कि इस वायरस से अभी तक 90 गोवंश संक्रमित हो चुके है। जिनमे से 10 की मौत हो चुकी है।

Lumpy virus infection reached 30 districts : भोपाल: मध्य प्रदेश में एक बार फिर लंपी वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा है। जिसकी वजह से अब प्रदेश के अधिकतर पशु में ये बीमारी फैल चुकी है। खास तोर पर राजधानी भोपाल में, बता दें कि इस वायरस से अभी तक 90 गोवंश संक्रमित हो चुके है। जिनमे से 10 की मौत हो चुकी है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो द्वारा प्रदेश के बॉर्डर वाले इलाकों को सर्वे कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए है।

प्रदेश के यह जिले रोग से प्रभावित

बता दें कि इस वायरस की वजह से प्रदेश के 33 जिले इस रोग से प्रभावित हैं। जिनमें से सिर्फ 20 जिलों में अभी तक इस रोग की प्रयोगशाला से पुष्टि हुई है। जिसमे उज्जैन, नीमच, मंदसौर, इंदौर, खंडवा और बैतूल, आगर मालवा, झाबुआ, धार, बुरहानपुर, आलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, हरदा, भिंड, मुरैना और श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, अशोक नगर , गुना, नर्मदापुरम, शाजापुर, राजगढ़, नरसिंहुपर और सीहोर आदि जिले शामिल है। जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार हाई अलर्ट पर है।

लंपी के अभी भी 2333 केसेस सक्रिय

इस वायरस से अभी भी 2333 सक्रिय केसेस हैं, जिनका नियमित उपचार जारी है। वैक्सीनेशन में लापरवाही के कारण लंपी का प्रकोप फिर से तेजी से फैल रहा है। कई पशुओं की हालत गंभीर है। वैक्सीनेशन को लेकर पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से चिंता बढ़ रही है।वहीं संचालक पशुपालन एवं डेयरी ने बताया कि पिछले 3 माह में प्रदेश के कुल 25 हजार 691 पशु इस रोग से प्रभावित हुए हैं, जिसमें से कुल 22 हजार 975 (90%) पशु इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। अब तक कुल 26 लाख 50 हजार पशुओं में टीकाकरण किया जा चुका है। साथ ही बीमार पशुओं का सतत उपचार किया जा रहा है।

रोग के प्रमुख लक्षण

संक्रमित पशु को हल्का बुखार

मुंह से अत्यधिक लार और आंख- नाक से पानी.

लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में गिरावट.

गर्भित पशुओं में गर्भपात. कभी-कभी पशु की मृत्यु.

पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें.

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