Madhya Pradesh बना शिक्षा का केंद्र, वर्ष 2004 से वर्ष 2022 तक हुए कई विकास कार्य

Bhopal: मध्य प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में आज देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। इसी लिए प्रदेश अब शिक्षा का केंद्र बन चुका है। प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद से वर्ष 2022 तक शिक्षा के क्षेत्र में विकास किस तेजी से हुआ है, यह आंकड़ों में दर्ज हो चुका है। वर्ष 2004 में जहां प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 15 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2022 में घटकर 1.35 फीसदी ही रह गई है। वहीं माध्यमिक स्तर पर शाला त्यागी बच्चों की संख्या 2004 में 24.70 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022 में मात्र 6.36 फीसदी ही बची है। इतना ही नहीं, वर्ष 2003 में प्रदेश का शिक्षा के लिए बजट मात्र 2456 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 38,375 करोड़ रुपए हो गया है। इसका सीधा संबंध शिक्षा के क्षेत्र में लगातार किए जा रहे विकास और नवाचार से है। अब प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गीता-सार, रामायण और महाभारत जैसे पवित्र धार्मिक ग्रंथों के प्रसंगों को भी पढ़ाया जाएगा। इससे बच्चों में भारतीय संस्कृति का ज्ञान बढ़ेगा। वहीं, इस सत्र से प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग, 6 पॉलिटेक्निक कॉलेजों और भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में हिन्दी भाषा में पढ़ाई शुरू होने से पूरे देश में इस व्यवस्था ने आज इतिहास रच दिया है।
संविदा शिक्षकों का वेतन 4500 से बढ़ाकर 36 हजार किया
वर्ष 2003 में श्रेणीवार मूल वेतन मात्र 2500 से 4500 रुपए प्रतिमाह था, जिसे बढ़ाकर 25 हजार 300 रुपए से 36 हजार 200 रुपए तक किया गया। अब तक 2 लाख 64 हजार से अधिक बच्चों को लैपटॉप खरीदने के लिए राशि उनके खाते में प्रदान की गई है।
फीस की चिंता अब मां-बाप नहीं सरकार करती है
प्रदेश में सीएम राइज स्कूल परियोजना का क्रियान्वयन शुरू किया गया है। 370 विद्यालय शुरू हुए हैं। 6300 करोड़ रुपए से बनाए जा रहे इन सर्वसुविधायुक्ता स्कूलों में फीस की चिंता अब मां-बाप नहीं सरकार करती है। मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के तहत 4 लाख 7 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 1100 करोड़ रुपए से अधिक की फीस सरकार ने प्रदान की है।
हर साल में 6 हजार युवा बनेंगे हुनरमंद
प्रदेश में वर्ष 2023-24 में संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल पार्कका संचालन होगा, जिससे हर साल 6 हजार युवा हुनरमंद बनेंगे। राज्य स्तर पर ड्रोन केंद्र और 4 ड्रोन स्कूल शुरू किए गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 साल में अब तक 40 हजार शिक्षक नियुक्त हुए हैं, जबकि निकट भविष्य में 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति और की जाएगी।
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