भोपाल के जेपी अस्पताल में बनेगा मप्र का पहला संवेदी उद्यान, विशेष बच्चों की होगी मानसिक और शारीरिक जांच

भोपाल के जेपी अस्पताल में बनेगा मप्र का पहला संवेदी उद्यान, विशेष बच्चों की होगी मानसिक और शारीरिक जांच
X
मानसिक रूप से कमजोर, दिव्यांग, मूक बधिर, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी जैसी समस्याओं से जूझ रहे विशेष बच्चों के लिए राजधानी में प्रदेश का पहला संवेदी उद्यान (सेंसरी गार्डन) मॉडल अस्पताल जेपी में बनाया जाएगा। इसमें विशेष बच्चों के चलने, सूंघने, देखने और समझने के लिए ट्रैक बनाए जाएंगे।

सचिन सिंह बैस

भोपाल। मानसिक रूप से कमजोर, दिव्यांग, मूक बधिर, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी जैसी समस्याओं से जूझ रहे विशेष बच्चों के लिए राजधानी में प्रदेश का पहला संवेदी उद्यान (सेंसरी गार्डन) मॉडल अस्पताल जेपी में बनाया जाएगा। इसमें विशेष बच्चों के चलने, सूंघने, देखने और समझने के लिए ट्रैक बनाए जाएंगे। यही नहीं सुगंधित फूलों वाले पौधे, लाइट्स और कलाकृतियां दीवारों पर पत्थर लगाए जाएंगे। जेपी अस्पताल परिसर में संचालित डीईआईसी (डिस्टिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) में ये संवेदी गार्डन बनाया जाएगा। इसके लिए एनएचएम के अधिकारी नोयडा के सेंसरी गार्डन को देखकर आए हैं। उसी तर्ज पर भोपाल में प्रदेश का पहला सेंसरी गार्डन बनाया जाएगा।

छूकर, देखकर, सूंघकर, सुनकर और स्वाद से होगी बच्चों की पहचान

एनएचएम के अधिकारियों ने बताया कि सेंसरी गार्डन में बच्चों के शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास को परखने के लिए एक ही जगह अलग-अलग प्रकार की व्यवस्थाएं तैयार की जाएंगी। इस गार्डन में बच्चों के लिए रेत, गिट्टी, मिट्टी, सीमेंट के ट्रैक बनाए जाएंगे। सूंघने के लिए सुगंधित पौधे, और नजर की जांच के लिए दीवारों पर कलाकृतियां बनाई जाएंगी। श्रवण शक्ति परखने अलग-अलग प्रकार के साउंड निकालने वाले इंस्ट्रूमेंट्स भी लगाए जाएंगे। इस गार्डन में बच्चे चलकर ये बताएंगे कि जिस ट्रैक पर वे चल रहे हैं वह कैसा है। यहां बच्चे की संूघने, समझने और देखने की क्षमता को परखा जा सकेगा।

इस प्रकार का होगा सेंसरी गार्डन

सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मूकबधिर, बहुविकलांगता, आटिज्म, एडीएचडी, सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, मानसिक, अक्षमता, चलन बाधित, असंतुलित चाल, विजन (नेत्र दोष) से पीड़ित बच्चों को सेंसरी गार्डन में व्यवस्थाएं की जाएंगी। इसमें विभिन्न सेंसेस जैसे साइट, टच, स्मेल, साउंड और टेस्ट की फीलिंग कराते हुए बच्चों की शारीरिक कमजोरियों एवं कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस गार्डन में दी जाने वाली थैरेपी से बच्चों के भीतर विभिन्न प्रकार की फीलिंग का अहसास कराया जाता है। जिससे वे दूसरे सामान्य बच्चों की तरह अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

Tags

Next Story