श्रद्धाभाव व उत्साह से मनाई गई मकर संक्रांति पर्व, तिल-गुड़ के लड्डूओं का भगवान को लगाया भोग

भोपाल। राजधानी में रविवार को मकर संक्रांति पर्व का उत्साह व उल्लास देखने को मिला। शहरवासियों ने सुबह जल्दी उठकर शीतलदास की बगिय व घरों में स्नान किए। मंदिरों में पूजा-अर्चना की। शिवजी, गणेशजी, कृष्ण जी, भगवान राम, मां दुर्गा को तिल-गुड़ के लड्डूओं का भोग लगाया। बाबा मुक्तेश्वर महाकाल के श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं श्री बड़वाले महादेव मंदिर का तिल, फूल व रत्नों से अलौकिक श्रृंगार किया गया। भगवान बटेश्वर से देश व प्रदेश की खुशहाली के लिए कामना की। रात के समय तक भक्तों की भीड़ लगी रही। इस अवसर पर मंदिर समिति के संयोजक संजय अग्रवाल, प्रमोद नेमा, प्रकाश मालवीय सहित अन्य लोग मौजूद रहे। इब्राहिमपुरा के राधा-वल्लभ मंदिर, हनुमान मंदिर शाहपुरा, खाटू श्याम मंदिर कोलार सहित अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना के कार्यक्रम हुए। इसके साथ ही शहर के कोलार, भेल, संत हिरदाराम नगर, होशंगाबाद रोड, कोटरा सुल्तानाबाद, नेहरू नगर, पीएंडटी, जवाहर चौकर, न्यू मार्केट समेत पुराने व नए शहर के सभी कालोनियों में युवा व बच्चों ने पतंगें उड़ाईं। पतंगबाजी करते हुए लोग दिखे। उल्लेखनीय है कि कुछ लोगों ने शनिवार को मकर संक्रांति मनाई थी। तो अधिकांश लोगों ने रविवार को ही संक्रांति का पर्व मनाया है।
दो दिन तक रहा मकर संक्रांति का उल्लास
शहर में दो दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया गया। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि रविवार को मकर संक्रांति पर्व मना। लोगों ने तिल व गुड़ के लड्डूओं को खाने का आनंद उठाया। मंदिरों में शिवजी के विशेष श्रृंगार किए गए। हालाकि कुछ पंचांग के अनुसार शुक्रवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व मनाया।
तमिल समाज ने बांटी पोंगल की खुशियां
मकर संक्रांति के साथ ही राजधानी में तमिल समाज के लोगों ने भी पूरे उत्साह और श्रद्भाभाव के साथ पोंगल पर्व मनाया। मटकी में पोंगल (मीठे गुड़) के चावल चूल्हे पर पकाए गए। विधि-विधान से सूर्य भगवान की आराधना की गई। हवन किया गया। पंड़ित एएस रामनाथ शास्त्री ने बताया कि 12 नंबर स्थित बालाजी मंदिर में पोंगल पर्व की पूजा-अर्चना की। पोंगल श्रद्धालुओं को बांटा गया। दो साल बाद धूमधाम से इस पर्व को मनाया गया। समाज के लोगों ने एक-दूसरे को पोंगल पर्व की बधाई दी गई। एएस रामनाथ शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रांति के समान ही सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से इंद्रदेव की पूजा की जाती है। साथ ही वर्षा, धूप, खेतिहर मवेशियों विशेषत: गाय, बैल के पूजन का विधान है।
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