ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर कांग्रेस पर बरसे ओबीसी के नेता, जमकर निकाली अपनी भड़ास

भोपाल। मंत्री सिंह यहां अपने निवास पर राज्य-भर से आए पिछड़ा वर्ग संगठनों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। करीब दो घंटे तक चली इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी इस बात पर सहमत थे कि मध्यप्रदेश की सरकार पिछड़ा वर्ग के उत्थान तथा उसे 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सभी संगठनों ने एक स्वर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस दिशा में प्रयासों को समर्थन दिया। उनके प्रति विश्वास प्रकट किया। बैठक में इस विषय पर आगे की रणनीति पर भी विचार किया गया। बैठक में मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन सहित मप्र मंत्रिमंडल के सदस्य मोहन यादव, रामखेलावन पटेल तथा ब्रजेन्द्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए। इसमें पिछड़ा वर्ग से संबद्ध राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी तथा प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। सभी ने साफ तौर पर इस तरह से न्यायालय के समक्ष दलील रखने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया। ओबीसी नेताओं ने कहा कि यदि कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया होता ताे न्यायालय का ऐसा निर्णय नहीं आता।
संवैधानिक तथा वैधानिक बिंदुओं पर विचार कर रही है सरकार
बैठक के बाद मंत्री सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने के सन्दर्भ में मप्र सरकार सभी संवैधानिक तथा वैधानिक बिंदुओं पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सीधे राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं। आयोग ने भी राज्य सरकार से केवल यह कहा है कि वह एक सप्ताह में आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी में लाए। सिंह ने कहा कि आयोग ने अब तक मप्र सरकार से इस बार में कोई राय नहीं मांगी है। इस तरह आज की स्थिति में सीधे तौर पर मप्र सरकार इस मामले में पार्टी नहीं है। सिंह ने कहा कि मप्र सरकार अपने इस मत पर दृढ़ है कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।
कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विरोधी
मंत्री सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग की विरोधी है। इसीलिए उसने आरक्षण पर रोक लगवाने का काम किया है। न्यायालय अपने मन से कोई निर्णय नहीं करता है। न्यायालय अपने सामने रखे गए तर्कों के आधार पर निर्णय देता है। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने महाराष्ट्र के गवली केस का उदाहरण दिया। उस आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर स्टे दिया है। सिंह ने कहा कि यदि तन्खा अपनी तरफ से यह बात नहीं रखते तो न्यायालय अपने स्तर पर किसी भी राज्य के लिए ऐसा निर्णय नहीं करता। इसलिए आरक्षण पर इस रोक के लिए यदि कोई पूरी तरह जिम्मेदार है, तो वह कांग्रेस और उसके नेता विवेक तन्खा है
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