पीडब्ल्यूडी में मंत्रालय के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, अपर सचिव 11 साल से मांग रहे एक ही जानकारी

पीडब्ल्यूडी में मंत्रालय के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, अपर सचिव 11 साल से मांग रहे एक ही जानकारी
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लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) तानाशाही का जिन्न पैर पसारता नजर आ रहा है। आलम ये है कि आदेशों की अवहेलना कर मंत्रालय में बैठे विभाग के आला अधिकारियों को निर्माण भवन के मुलाजिम मुंह चिढ़ा रहे हैं। ताजा मामला...

- मंत्रालय के अपर सचिव 11 साल से अधीक्षण यंत्री द्वारा खरीदी गई संपत्ति की जानकारी मांग रहे

भोपाल। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) तानाशाही का जिन्न पैर पसारता नजर आ रहा है। आलम ये है कि आदेशों की अवहेलना कर मंत्रालय में बैठे विभाग के आला अधिकारियों को निर्माण भवन के मुलाजिम मुंह चिढ़ा रहे हैं। ताजा मामला मंत्रालय से जारी हुए एक आदेश का है जिसमें एक अपर सचिव के निर्देशों को पिछले ग्यारह सालों से ठेंगा दिखाया जा रहा है।

पीडब्ल्यूडी विभाग में पदस्थ अधीक्षण यंत्री आशाराम सिंह द्वारा कृषि भूमि खरीदने की अनुमति संबंधी जानकारी मांगी गई है। लेकिन आज तक विभाग इसकी जानकारी मंत्रालय के अफसरों को नहीं दे पाया है। थक हारकर फिर विभाग के अपर सचिव गोपाल चंद्र डाड ने प्रमुख अंिभंयता को चिट्ठी लिख नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर सातवीं बार जानकारी मांगी है।

यह मांगी गई है जानकारी

अधीक्षण यंत्री आशाराम सिंह की पत्नि किरण सिंह के नाम पर गौहरगंज तहसील के ग्राम पड़ोनिया में क्रय की कृषि भूमि का वास्तविक मूल्य, व प्रचलित गाइडलाइन की छांयाप्रति, रजिस्ट्रेशन फीस, स्टांप ड्यूटी निर्धारण का अधार आदि की जानकारी संबंधी दस्तावेज मांगे गए हैं। लेकिन बार-बार जानकारी न देना सेवा आचरण नियम-1965 के नियम-19 एवं नियम-3 का उल्लंघन की श्रेणी में आ रहा है।

संपत्ति खरीदने के एक दर्जन से ज्यादा मामले में पेंडिंग

विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कर्मचारियों की संपत्ती खरीदने के एक दर्जन से ज्यादा मामले विभाग में पेंडिंग हैं जिसमें मंत्रालय सचिव की आदेश फाइलों में दबे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग के प्रमुख अभियंता को इसकी जानकारी नहीं है, बावजूद इसके जानकारी नहीं देना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है।

पीडब्ल्यूडी में मंत्रालय के आदेशों की उड़ रही धज्जियां- 22 जुलाई, 2010 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 7 सितंबर, 2010 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 23 अगस्त, 2010 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 15 दिसंबर, 2010 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 16 जुलाई, 2012 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 3 अगस्त, 2018 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 16 जुलाई, 2020 को जानकारी मांगी पर नहीं मिली

- 15 अक्टूबर, 2021 को फिर जानकारी मांगी गई है, अभी तक नहीं भेजी गई

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