सीए इंटरमीडिएट में सिटी टॉपर रहीं मोहिनी पटेल, वहीं सीए फाइनल में सिटी टॉपर बनी पारुल शुक्ला, जानिए सफलता की कहानी

भोपाल। बुधवार को द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा सीए फाइनल और इंटरमीडिएट मई 2023 परीक्षाओं के नतीजे घोषित किए, जिसमें सीए इंटरमीडिएट में मोहिनी पटेल, वहीं सीए फाइनल में पारुल शुक्ला सिटी टॉपर बनीं। सीए फाइनल में भोपाल से 649 विद्यार्थियों ने एग्जाम दिया और 168 परिक्षार्थी सफल हुए वहीं सीए इंडरमीडिएट में 289 परिक्षार्थी बैठे और ग्रुप एक व ग्रुप दो में क्रमश: 40 और 1 परिक्षार्थी पास हुए। सीए फायनल और इंडरमीडिएट में सिटी टॉपर्स से हरिभूमि ने जाने उनकी सफलता के राज।
फैमिली सपोर्ट और टीचर्स की गाइडेंस से मिली सफलता
इंटरमीडिएट एग्जाम में मोहिनी पटेल ने भोपाल में टॉप किया है। मोहिनी ने बताया कि यह उनका पहला अटेम्पट था और इससे पहले फाउंडेशन एग्जाम भी उन्होंने पहले प्रयास में पास किया था। उन्होंने बताया कि फैमिली सपोर्ट और टीचर्स की गाइडेंस से सफलता मिली है। इसके लिए हार्डवर्क भी काफी रहा है। सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक हमारी कोचिंग और फिर घर पर सेल्फ स्टडी करना, यानि करीब 15 घंटे की मेहनत होती थी। वहीं इस पढ़ाई से जब मेंटल स्ट्रेस होता तो फैमिली और फ्रेंड्स से बातें किया करती थी। दसवीं में सब्जेक्ट लेते समय सोचा था कि भारत एक विकासशील देश और देश की प्रगति बढ़ती जाएगी, इसीलिए शायद सीए को कॅरियर चुना।
हर कदम पर साथ देने वाले पैरेंटस की वजह से मिली सफलता
सीए इंटरमीडिएट में भोपाल में द्वितीय स्थान लाने वाले आदित्य परमार कहते हैं कि अगस्त 2022 से में रोजाना करीब 15 घंटे पढ़ाई करता था। उन्होंने कहा कि मुझे भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत इंटरेस्ट है और उसका नॉलेज भी गेन करता रहता हूं, इसीलिए मुझे इसी फील्ड में जाना था। उन्होंने कहा कि मेरे पिता एक किसान है और मां हाउस वाइफ हैं, तो मैं अपनी मिडल क्लास फैमिली का लेवल भी बढ़ाना चाहता हूं। अपने पेरेंट्स का बहुत बड़ा सहारा बनना चाहता हूं। इसीलिए मैंने सीए को प्रिफरेंस दी। उन्होंने कहा कि मेरे पैरंट्स ने मेरा हर तरह से सपोर्ट किया फिर वह स्टडी मैटेरियल से रिलेटेड हो या मुझे मोटिवेट करने से।
16 घंटे तक पढ़ाई करके पाया मुकाम
सीए फाइनल में भोपाल में द्वितीय स्थान लाने वाली चेतना मोटियानी का कहना है कि शुरू के 6 महीने मैंने करीब 12 से 14 घंटे में पढ़ाई की और उसके बाद 16 घंटे तक मैंने पढ़ाई की है, क्योंकि मैंने अपना ड्रीम सेट कर लिया था कि मुझे सीए बनना है और इसके लिए मैंने जी तोड़ मेहनत की है और इसमें मेरे पेरेंट्स का भी काफी सपोर्ट रहा। चेतना कहती हैं कि मैं जब पढ़ पढ़कर थक जाती तो म्यूजिक सुनती थी या फैमिली फ्रेंड के साथ टाइम स्पेंड करती थी लेकिन सोशल मीडिया से मैंने करीब 1 साल से ही दूरी बना ली थी।
मैं जब भी एग्जाम देने जाती तो पैरेंट्स साथ जाते
सीए फाइनल में भोपाल में तृतीय स्थान लाने वाली नुपुर जैन का कहना है कि मैंने 12वीं में डिसाइड कर लिया था कि मुझे सीए बनना है और 12वीं में मेरे 95% आए थे। उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता का सफलता में बहुत बड़ा योगदान है, जहां एक ओर वो हमेशा मुझे मोटिवेट करते, वहीं जब मैं एग्जाम देने जाती तो मेरे साथ जाते और जब तक पेपर खत्म नहीं होता दोनों वहीं रुकते। नुपुर कहती हे कि एक बार बीच में ऐसा समय आया था कि मुझे लगा कि मैं इतना पढ़ाई अब नहीं कर सकती हूं तब फिर मेरे पेरेंट्स ने ही मोटिवेट किया और आगे बढ़ाया, आज उनकी ही वजह से ही मैं सीए क्वालिफायड कर पाई हूं।
फाउंंडेशन और इंटरमीडिएट परीक्षा पहले ही प्रयास में पास
सीए इंटरमीडिएट में सफ़ल भोपाल की दिशा पटेल ने बताया कि मैैं एक कॉमर्स बैकग्रउंड फैमिली से आती हूं। इसीलिए काफी पहले ही सीए बनने का सोच लिया था। सौभाग्य से फाउंंडेशन और इंटरमीडिएट दोनों परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर लीं। करीब 9 घंटे की हमारी कोचिंग हुआ करती थी और फिर ऑनलाइन क्लासेस, जिससे मेरी तैयारी होती थी। कोचिंग में हमें डेली और वीकली टार्गेट मिलते थे, जिसे हम कंसिस्टेंसी से पूरा करते थे और यही सफलता का सूत्र भी है। हालांकि इस दौरान कई बार खुद पर डाउट्स भी हुए, लेकिन आपको मेंटली प्रिपेयर होना पड़ता है, तभी फोकस रख पाते हो। इसके अलावा दोस्तों के साथ डाउट सेशन काफी हेल्पफुल होते थे।
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