MP : 14 ग्रामीणों की मौत, सैकड़ों बीमार, स्वास्थ्य अमला नदारद

मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के एक गांव में कोरोना वायरस के संक्रमण ने भयावह रूप ले लिया है। हालात ये हैं कि डर के मारे कोई भी कोरोना की जांच कराने के लिए अस्पताल नहीं जा रहा है। लोग घरों के अंदर ही खटिया पर पड़े हैं। जो लोग मरे हैं, उन्हें भी दो से तीन दिन बुखार आया, कुछ लोगों को सांस फूलने की दिक्कत थी। एक-एक कर 14 लोग मर चुके हैं, उनमें से चार से पांच लोगों की कोरोना से मरने की पुष्टि हुई है, क्योंकि वे इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंच गए। वहीं गांव के सरपंच और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पलायन कर गये हैं।
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित तीन सैकड़ा से अधिक घरों की आबादी वाले इस गांव का बड़ागांव है। जहां महामारी के कारण गलियो में चारों तरफ सन्नाटा पसरा है। जानकारी के मुताबिक बड़ागांव में मौतों का सिलसिला 26 अप्रैल से शुरू हुआ। गांव में रहने वाले नृपाल सिंह (58) पुत्र नारायण तोमर 14 अप्रैल को कुंभ से लौटे थे। 18 अप्रैल को उनकी तबियत खराब हुई तो फौजी बेटे इलाज कराने मिलिट्री हॉस्पिटल ग्वालियर ले गए, जहां वे कोरोना संकमित निकले। इलाज के दौरान 26 को नृपाल सिहं की मौत हो गई। इसके बाद गांव में एक-एक कर 14 लागों ने अपनी जान गवाई। इनमें नृपाल सिंह के परिवार की ही आंगनबाडी कार्यकर्ता नीरू तोमर व इंजीनियर युवा शरद तोमर भी शामिल है।
ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच अपने परिवार सहित मुरैना स्थित अपने घर पर रहने चली गई हैं। अकेले सरपंच ही नहीं बल्कि गांव में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीरू (45) पत्नी दिलीप तोमर के परिजन सहित 20 से 30 परिवार कोरोना संक्रमण के डर से गांव से पलायन कर मुरैना पहुंच गए हैं। गांव में पदस्थ दूसरी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राधा शर्मा ने बताया कि कोरोना से तीन से चार लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। शेष 10 लोगों में से कुछ वृद्ध थे, यह लोग चेकअप कराने अस्पताल नहीं गए। इसलिए अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि इनकी मौत कोरोना से हुई है।
इस संबंध में मुरैना प्रभारी सीएमएचओ डॉ. एडी शर्मा ने बताया कि सर्वे में ग्रामीण सही सूचना नहीं देते हैं। बड़ागांव में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीरू तोमर की मौत 22 अप्रैल को हुई थी। इसकी सूचना दूसरी कार्यकर्ता राधा शर्मा ने हमें दी थी। हमारा अमला गांव में सर्वे के लिए भी पहुंचा, लेकिन हर घर के बाहर वृद्ध बैठे मिलते हैं, वे सही जानकारी नहीं देते। उनका कहना होता है कि हमारे यहां कोई बीमार नहीं है।
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