MP DOCTORS STRIKE :प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुरू, बुरी तरह चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, इलाज के लिए भटक रहे मरीज

भोपाल : मध्यप्रदेश के गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर पिछले 5 दिन से अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। जिसके चलते मरीजों को इलाज नहीं मिलने से काफी परशानी हो रही है। तो वही आज जूनियर डॉक्टर के समर्थन में प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर भी सामने आए है। जिसके चलते प्रदेशभर में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। डॉक्टर सरस्वती के सुसाइड केस के बाद से भले ही एचओडी अरुणा कुमार को पद से हटा दिया गया है। लेकिन नए एचओडी भारती परिहार की नियुक्ति को लेकर जूनियर डॉक्टर खुश नहीं है। जिसको हटाने की मांग के चलते प्रदेश भर के डॉक्टर काम बंद ताड़तल पर चले गए है।
6 जिलो के डॉक्टर भी गए हड़ताल पर
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान भारती परिहार उनसे मिलने के लिए आई थी। इस दौरान उन्होंने गलत लहजे से और धमकते हुए जल्द से जल्द प्रदर्शन बंद कर काम कर लौटने के लिए कहा गया था। जिसकी वजह से जूनियर डॉक्टर को भारती परिहार की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है। इस हड़ताल की वजह से हमीदिया अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है। हमीदिया में न तो मरीजों को न ही इलाज मिल रहा न ही जरूरी सर्जरी की जा रही। इसके साथ ही वार्डो में भर्ती मरीजों को भी नही देखने पहुँच पा रहे डॉक्टर। मरीजों की परेशान को देखने के बाद भी चिकित्सा शिक्षा विभाग की नींद नही खुल रही। मरीज और उनके परिजन दर-दर इलाज के लिए भटक रहे हैं।
हड़ताल को प्रदेश भर से समर्थन
बता दें कि 4 दिन से चल रही हड़ताल में हमीदिया जूनियर डॉक्टर के समर्थन में प्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालय के डॉक्टर भी आ गए हैं. 6 चिकित्सा महाविद्यालय के जूनियर डॉक्टरों ने एक साथ काम बंद कर दिया है. इसमें भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर, सागर, रीवा के जूनियर डॉक्टर शामिल हैं। सभी डॉक्टरों ने सौभा से काम बंद ताड़तल पर चले गए है। इधर, रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। किसी भी प्रकार की डॉक्टरों को छुट्टी नहीं मिलेगी। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सभी विभाग अध्यक्षों को पत्र लिखकर डॉक्टरों को अवकाश न देने के निर्देश दिए है।
जानें क्या हैं पूर मामला
बता दें कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर (जूडा) बाला सरस्वती से 36 घंटे काम कराया जाता था। पति जय वर्धन चौधरी ने उनके सुसाइड के लिए डिपार्टमेंट की 3 महिला डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि पत्नी को कामचोर का ताना दिया जाता था। हम संडे लंच पर गए थे। अचानक वहां से सरस्वती को ड्यूटी पर बुला लिया। 27 साल की बाला सरस्वती GMC में गायनेकोलॉजी की थर्ड ईयर की स्टूडेंट थीं। रविवार रात उन्होंने एनेस्थीसिया इंजेक्शन (बेहोशी की दवा) का ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली। सोमवार सुबह वह घर के पूजा वाले कमरे में अचेत हालत में मिली थीं। घटना से आक्रोशित जूनियर डॉक्टरों ने प्रशासन के खिलाफ ताड़तल शुरू की। फ़िलहाल अभी तक डॉक्टरों की मांग पर प्रसाशन द्वारा कोई भी एक्शन नहीं लिया गया है। जिसकी वजह से प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है।
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