MP उपचुनाव : भाजपा में सन्नाटा, कांग्रेस ने बढ़ाई सक्रियता

MP उपचुनाव : भाजपा में सन्नाटा, कांग्रेस ने बढ़ाई सक्रियता
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‘घर-घर महादेव’ के बाद ‘घर-घर गंगे’ अभियान, मुद्दों और प्रत्याशियों के चयन में जुटे कमलनाथ। पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा तथा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के कोरोना की चपेट में आने के बाद भाजपाई खेमे में सन्नाटा है। 27 विधानसभा सीटों के उप चुनाव की तैयारी भी लगभग ठप है। अधिकांश नेता क्वारेंटाइन हैं या कोरोना की खौफ की वजह से घरों में बैठ गए हैं। इसके विपरीत राजनीतिक गतिविधियों में पिछड़ती दिख रही कांग्रेस अचानक सक्रिय दिखाई पड़ने लगी है। प्रत्याशियों के चयन के लिए कमलनाथ पहले ही सर्वे करा चुके हैं, अब जीतने की क्षमता वाले नेता तय करने के लिए सर्वे के आधार पर नेताओं से बातचीत शुरू हो गई है। मैदान में किन मुद्दों को लेकर उतरना है, इस दिशा में मंथन शुरू हुआ है। कुछ नेताओं ने मैदान में मोर्चा संभाल लिया है। कांग्रेस ने सांवेर में पहले 'हर-हर महादेव, घर-घर महादेव' अभियान चलाया था। अब 25 विधानसभा सीटों के लिए 'हर-हर गंगे, घर-घर गंगे' अभियान शुरू किया गया है। इसे शुद्ध के खिलाफ युद्ध अभियान कहा गया है। साफ है कि कमलनाथ की कोशिश भाजपा को राम मंदिर सहित अन्य धार्मिक और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों का लाभ न उठाने देने की है।

कांग्रेस को दिख रही उम्मीद की किरण

इसे विडंबना ही कहेंगे कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है तो भाजपा को खुश होना चाहिए। भाजपा को इसका तात्कालिक लाभ मिलना चाहिए क्योंकि वह इस मुद्दे को लेकर संघर्ष करती रही है। पर उप चुनावों में उम्मीद की किरण कांग्रेस खासकर कमलनाथ को दिखाई पड़ रही है। यही वजह है कि राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर जितने राममय और भगवाधारी कमलनाथ दिखाई पड़े, उतना भाजपा का कोई अन्य नेता नहीं। उन्होंने तय किया है कि भाजपा के जवाब में कांग्रेस गाय, राम मंदिर, गंगाजल एवं राम वन गमन पथ जैसे मुद्दों को लेकर ही उप चुनाव लड़ेगी।

कमलनाथ का नेताओं से विचार-विमर्श

अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की खुशी मनाने के तत्काल बाद कमलनाथ उप चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। बुधवार की शाम एवं गुरुवार को उन्होंने चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक कर दो मुद्दों पर विचार विमर्श किया। एक, उप चुनावों में जीत की दृष्टि से किन नेताओं को मैदान में उतारना ठीक होगा और दो, राम मंदिर जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा के सामने किस रणनीति के साथ मोर्चा संभालना चाहिए। बैठक में यह भी तय हुआ कि पार्टी नेताओं की ओर से विरोधाभाषी बयानबाजी बंद होना चाहिए।

भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर भी चर्चा

कांग्रेस के अरुण यादव सहित लगभग आधा दर्जन ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्हें चुनाव मैदान में उतारने पर चर्चा हुई है। भाजपा के लगभग एक दर्जन असंतुष्टों पर भी कांग्रेस की नजर है। कमलनाथ का इनसे संपर्क बना हुआ है। पार्टी नेताओं से सलाह के बाद इन असंतुष्टों को कांग्रेस में लेकर चुनाव लड़ाया जा सकता है। कमलनाथ की कोशिश है कि अगस्त में प्रत्याशियों को लेकर कसरत पूरी हो जाए। इसके बाद पार्टी पूरी तरह से चुनाव अभियान में जुट जाए। चुनाव अभियान शुरू करने के लिए कांग्रेस चुनाव कार्यक्रम घोषित होने का इंतजार नहीं करेगी।

नाथ के भगवा चोले से भाजपा बेचैन

भाजपा संगठन एवं सरकार के कई प्रमुख नेता एवं मंत्री कोरोना के कारण क्वारेंटाइन है, इसकी वजह से भाजपा में राजनीतिक गतिविधियां ठप जैसी हैं। लेकिन कमलनाथ ने जिस तरह भगवा चोला पहना है, उससे भाजपा में बेचैनी है। यह भाजपा नेताओं के बयानों से साफ झलकता है। भाजपा के अधिकांश नेता एक स्वर से कांग्रेस एवं कमलनाथ को ढोंगी ठहराने में जुटे हैं। इसके विपरीत कमलनाथ अपनी सरकार द्वारा गौमाता, राम वन गमन पथ, महाकाल एवं ओंकारेश्वर मंदिर के विकास तथा अन्य धार्मिक कार्यों को गिना कर यह साबित करने की कोशिश में हैं कि हम काम करते हैं और भाजपा बात। इस तरह 27 सीटों के उप चुनाव किसी आम चुनाव से कम रोचक रहने वाले नहीं हैं।

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