MP News: एमपी में पेशाबकांड पर सियासत जारी, कमलनाथ ने राज्यपाल से मिलकर सौंपा ज्ञापन

MP NEWS: महाराष्ट्र में पेशाबकांड को लेकर सियासत जारी है। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात की। ऐसी घटनाओं को रोकने में उनके हस्तक्षेप की मांग की। इन मामलों में सरकार की कार्रवाई के बावजूद कांग्रेस इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला करती रहती है। तथ्य यह है कि कुछ घटनाओं में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों या समर्थकों के नाम आरोपी के रूप में सामने आए हैं, जिससे चुनावी वर्ष में विपक्ष को हवा मिल गई है।
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
सोमवार को, कमल नाथ के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सीधी घटना के साथ-साथ पिछली घटनाओं का भी जिक्र किया गया, जहां अगस्त 2021 में नीमच जिले में एक आदिवासी युवक को पिक-अप ट्रक से बांधकर घसीटने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा एक युवती और उसके परिवार के चार अन्य सदस्यों की सामूहिक हत्या कर दी गयी थी। कांग्रेस की तरफ से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि इन घटनाओं का जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये बेहद अमानवीय थीं और इससे दुनिया भर में आक्रोश फैल गया था। इसमें उल्लेख किया गया है कि राज्य में भाजपा के (18 वर्ष) शासन के दौरान आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार की 30,000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं और कई दर्ज नहीं की गईं। ज्ञापन में कहा गया है कि चूंकि राज्यपाल स्वयं आदिवासी समुदाय से आते हैं, इसलिए वे आदिवासियों के दर्द, अभाव और संघर्ष को बेहतर ढंग से समझेंगे।
क्या कहा कमलनाथ ने
राजभवन से बाहर आने के बाद कमल नाथ ने मीडियाकर्मियों से कहा कि राज्यपाल से आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से आगे आने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा, हमारा दर्द तब बढ़ जाता है जब आदिवासियों पर अत्याचार सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा या उनके संरक्षण में किया जाता है। राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार के रवैये को इस बात से अच्छी तरह समझा जा सकता है कि आदिवासी कल्याण का बजट राजनीतिक प्रकृति की सरकारी रैलियों में खर्च हो गया। आदिवासी लोग एससी/एसटी पुलिस स्टेशनों में अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं, लेकिन सरकार इन पुलिस स्टेशनों को धन देने में विफल रही है। अगर कोई अपराध सामने आता है तो सत्ताधारी दल के नेता उस पर पर्दा डालने में जुट जाते हैं। इस तरह सरकार और राजनीतिक मशीनरी मध्य प्रदेश में नफरत और अन्याय का ऐसा माहौल बना रही है, जहां आदिवासियों पर अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं।
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प्रतिनिधिमंडल में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह और मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख कांतिलाल भूरिया, पूर्व गृह मंत्री बाला बच्चन, पूर्व मंत्री उमंग सिंघार और अन्य सहित आदिवासी नेता शामिल थे।
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