MP Election 2023 : जेठ-बहू के बीच रोचक मुकाबला बागी मुकेश ने बिगाड़े समीकरण

भोपाल। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर विधानसभा सीट के चुनाव में इस बार सबकी नजर है। कांग्रेस ने यहां लोहे से लोहा काटने की तर्ज पर भाजपा के शैलेंद्र जैन के मुकाबले उनके ही भाई पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को मैदान में उतार दिया है। निधि महापौर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं लेकिन मामूली अंतर से हार गई थीं। इस मुकाबले में सागर के मतदाता पसोपेश में हैं। भाजपा से बगावत कर आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे मुकेश जैन ढाना ने दोनों प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
छह चुनाव से लगातार भाजपा का कब्जा
सागर सीट भाजपा का गढ़ इसलिए बन चुकी है क्योंकि यहां लगातार 6 चुनाव से भाजपा ही जीत रही है। 1993 से 2003 तक तीन चुनाव सुधा जैन ने जीते, इसके बाद 2008 से अब तक तीन चुनाव शैलेंद्र जैन जीत चुके हैं। तीन जीत के बाद भाजपा ने सुधा जैन का टिकट काट दिया था, लेकिन शैलेंद्र के साथ ऐसा नहीं हुआ। वे भाजपा के टिकट पर चौथी बार मैदान में हैं। इससे पहले 1990 में यहां से कांग्रेस के प्रकाश जैन ने जीत दर्ज की थी।
तीन जैनों के बीच हो रहा मुकाबला
मुकेश जैन ढाना के कारण सागर में तीन जैनों के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। मुकेश 2008 में पूर्व मुख्यमंत्री उमा की पार्टी भारतीय जनशक्ति से चुनाव लड़ चुके हैं। तब उन्हें साढ़े 6 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। तब भी तीन जैन मुकाबले में थे। मुकेश समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं। चूंकि वे भाजपा में रहे हैं, इसलिए उनकी वजह से भाजपा को ही ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। बहरहाल, शैलेंद्र जैन, निधि जैन और मुकेश जैन ढाना के बीच मुकाबला देखने लायक है। दोनों दलों से एक ही परिवार और जैन समाज से सभी प्रमुख उम्मीदवार होने से चुनाव आकर्षक है।
चुनाव में जातीय समीकरणों का असर
सागर में जैन और ब्राह्मण समाज के मतदाता ज्यादा और निर्णायक स्थिति में हैं। जैन समाज के दम पर इस समाज का विधायक चुना जाता रहा है। कांग्रेस ने कई बार ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारे लेकिन जैन के सामने वे टिके नहीं। इस बार जैन समाज से तीन प्रत्याशी होने से अन्य जातियों खास कर ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका अहं हो गई है। फिर भी भाजपा- कांग्रेस के बीच इनका बंटवारा तय है। मुस्लिम और दलित मतदाता भी यहां काफी है। यह आमतौर पर कांग्रेस के पक्ष में जाता है। अब भी जिस तरफ ब्राह्मण और जैन मतदाता पहुंच गए, फतह उसी तरफ हो सकती है।
एक ही परिवार से प्रत्याशियों का विरोध
भाजपा और कांग्रेस ने चूंकि एक ही परिवार से प्रत्याशी उतार दिए हैं, इस कारण दोनों ओर इनका विरोध है। दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा- कांग्रेस को एक परिवार के अलावा दूसरा कोई नेता चुनाव लड़ाने लायक नहीं मिला। भाजपा में बगावत हो गई है लेकिन कांग्रेस में भी नेता खुलेआम बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस ने शैलेंद्र को शिकस्त देने के उद्देश्य से उनकी ही बहू को चुनाव लड़ाया है लेकिन कांग्रेस के आम कार्यकर्ता इस निर्णय को ठीक नहीं ठहरा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि यहां भी कांग्रेस ने सिर्फ परिवारवाद को ही बढ़ावा दिया है।
निधि के प्रति सहानुभूति, महिलाओं का साथ
दूसरा सच यह भी है कि कांग्रेस की निधि महापौर का चुनाव मामूली अंतर से हार गईं थीं, इसकी वजह से लोगों में उनके प्रति सहानुभूति देखी जा रही है। हालांकि शैलेंद्र जैन भी मिलनसार हैं लेकिन उनके भाई और निधि के पति पूर्व विधायक सुनील जैन दोस्ती निभाने के लिए जाने जाते हैं। वे अपेक्षाकृत ज्यादा व्यवहारकुशल हैं। निधि को एंटी इंकम्बेंसी के साथ महिलाओं का अच्छा समर्थन मिल रहा है। इसलिए भी मुकाबला रोचक हो चला है।
विकास की नजर में सागर
सागर को विकास के आइने में देखें तो स्मार्ट सिटी के तहत काम ही भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर रहे हैं। इस योेजना के तहत तालाब के बीच में कारीडोर बना है। यह चकराघाट से बस स्टेंड को जोड़ता है। इससे ट्रैफिक की समस्या का समाधान हो गया है। शैलेंद्र इसके आधार पर वोट भी मांग रहे हैं। हालांकि सागर के 15-16 वार्ड दलित बाहुल्य हैं। यहां की गलियां तंग हैं और सड़कें नहीं बनीं। राजघाट परियोजना के तहत पेयजल भी इतने वार्डों तक नहीं पहुंचा। यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है। शैलेंद्र इन वार्डों में पहुंच कर काम का आश्वासन दे रहे हैं। जबकि कांग्रेस इसे मुद्दा बनाए है। निधि जैन यहां अपना ध्यान केंद्रित किए हैं। यहां बड़ी समस्या बेरोजगारी की भी है। राेजगार के लिए यहां कोई बड़ा उद्वोग नहीं लगा। बीना रिफाइनरी से भी रोजगार की कोई कोशिश नहीं हुई। इसलिए कांग्रेस यहां बेरोजगारी और महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है।
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