MP Election 2023 : इस बार मतदान में लाड़ली बहना योजना का साफ दिख रहा ‘असर’

भोपाल। मप्र विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को देर शाम तक 76.22 फीसदी मतदान हुआ है। इस बार मतदान में महिलाओं ने मतदान में बढ़ चढ़कर भाग लिया। करीब 73 फीसदी महिलाओं के वोट पड़े। पिछले 2018 के चुनाव में भी 72 फीसदी वोट महिला मतदाताओं के पड़े थे।
सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद
इस बार पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं के अधिक वोट पड़े। हर बार की तरह इस बार भी मालवा व महाकौशल अंचल में बंपर वोट पड़े। राजधानी भोपाल में 66.62 फीसदी पड़े। सैलाना विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 86 फीसदी वोट पड़े। कुछ जगह औसत हिंसा को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर मतदान शांतिपूर्ण रहा। उप्र से सटे बॉर्डर के कई जिलों में मारपीट की कई घटनाएं हुई हैं। इस बार के चुनाव की सबसे खास बात यह रही कि ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने मतदान किया है। इस बार कुल 2,522 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मतदान के बाद इन सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया।
कहा कितने वोट पड़े
बुधनी में72 व छिंदवाड़ा में 76 फीसदी वोट पड़े: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में करीब 72 फीसदी वोट पड़े। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में 76 फीसदी वोट पड़े। मालवा व महाकौशल अंचल में सबसे अधिक वोट पड़े हैं। इसमें भी सैलाना विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 85.49 फीसदी वोट पड़े। जावद में 83.63, हाट पिपल्या में 82.05, खिलचीपुर में 84.17, सुसनेर में 82.65, अमरवाड़ा में 83.58, बरघाट में 84.16, ब्यावरा में 81, आगर में 82 फीसदी वोट पड़े।
प्रदेश में शांतिपूर्ण मतदान हुआ
मतदान केंदों पर सबसे पहले हुआ मॉकपोल: चुनाव आयोग ने मतदान के 90 मिनट पहले यानी सुबह 5.30 बजे से ही मॉकपोल शुरू कराने को कहा था। इसके बाद सभी 64,523 मतदान केंद्रों पर सबसे पहले मॉक पोल हुआ। इसके बाद मतदान शुरू हुआ। मॉकपोल के दौरान कई जगहों पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में खराबी की शिकायतें आई। किंतु मौके पर ही उसे दुरूस्त कर लिया गया। इस बार चूंकि सभी नई मशीनें थी, इसलिए ज्यादा कुछ खराबी नहीं आई। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सीईओ अनुपम राजन ने बताया कि छिटपुट घटनाओं को छोड़कर समूचे प्रदेश में शांतिपूर्ण मतदान हुआ है।
बढ़ता गया महिलाओं का दबदबा:
2018 में कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से 9 महिलाएं विधायक चुनी गई थी।
2023 में कांग्रेस ने 27 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है, यानी कि पिछली बार जितनी ही प्रत्याशी इस बार भी कांग्रेस ने उतारा।
2018 में भाजपा ने 24 महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से 11 महिलाएं विधायक चुनी गई थी। 2023 में भाजपा ने 30 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है, यानी कि पिछली बार से 6 महिला प्रत्याशी इस बार ज्यादा हैं।
7 जिलों में महिलाओं के वोट में लगभग 3% तक का इजाफा
मप्र में प्रदेश के 52 में से सात जिले ऐसे हैं, जहां पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। डिंडोरी में जहां 2,56,182 पुरुष वोटर हैं, तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 2,58,166 हैं। पिछली बार जिले में 79.49 फीसदी मतदान हुआ था। यह आंकड़ा इस बार 78.30 फीसदी रिकॉर्ड किया गया। मंडला में 3,90,312 पुरुष और 4,00,672 महिला मतदाता हैं। 2018 में जिले में 78.77 फीसदी वोट पड़े थे, जो अबकी बार 71.52 फीसदी तक पहुंच रहा है। बालाघाट में पुरुष मतदाता 6,66,537 और महिला मतदाता 6,78,232 हैं। यहां पिछली बार 81.27 फीसदी वोट पड़े थे, जो इस बार 79.78 हो गया।
बड़वानी में भी महिलाओं के ज्यादा वोट पड़े
बड़वानी में 5,33,594 पुरुषों के मुकाबले 5,35,580 महिला मतदाता हैं। 2018 में यहां कुल मतदान 77.97 फीसदी था, जो इस बार 70.36 हो गया। अलीराजपुर में पुरुष मतदाता 2,80,880 और 2,85,347 महिला मतदाता हैं। पिछले चुनाव में यहां 60.69 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। अलीराजपुर में 56.24 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। झाबुआ में 4,29,850 पुरुषों के मुकाबले 4,34,553 महिला वोटर हैं। 2018 में यहां 77.10 फीसदी वोट पड़े। इस बार 73.10 फीसदी पहुंच गया। रतलाम में 5,49,361 पुरुष और 5,49,726 महिला मतदाता हैं। पिछली बार जिले में 82.77 फसदी मतदान हुआ, इस बार 80.02 हो गया।
इससे समझें इस ट्रेंड को
1993 में 100 में से सिर्फ 52 महिलाएं वोट करने जाती थीं, ये आंकड़ा बढ़कर 2018 में 74 हो गया। यानी पिछले 25 साल में वोट करने वाली महिलाएं 22 फीसदी बढ़ गई है।
1993 में 100 में से 68 पुरुष वोट करते थे, जो 2018 में बढ़कर सिर्फ 76 फीसदी हुए, पुरुष में सिर्फ 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यानी की वोट करने वाली महिलाएं पुरुषों की तुलना में करीब 3 गुना बढ़ गई हैं।
2018 में 52 सीटों पर महिलाओं ने ज्यादा वोिटंग की, भाजपा को मिली 32 सीट
मप्र की 230 विधानसभा सीटों में 19 सीटें ऐसी हैं जहां महिला वोटर पुरुषों से ज्यादा हैं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव 52 ऐसी सीटें थीं जिनमें महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया था। खास बात ये कि इन सीटों पर भाजपा को भारी बढ़त मिली थी। भाजपा इन 52 सीटों में 32 सीटें जीती थी, कांग्रेस 18 सीटें जबकि अन्य 2 सीटें जीते थे।
प्रत्येक जिले व विधानसभा में बंपर मतदान
चुनाव आयोग के अनुसार आगर में 85.03, अलीराजपुर में 60.10, अनूपपुर में 77.03, अशोकनगर में 78.77, बालाघाट में 85.23, बड़वानी में 74.93, बैतूल में 80़ 70, भिंड में 63़ 27, भोपाल में 66.62, बुरहानपुर में 76.68, छतरपुर में 71.20, छिंदवाड़ा में 82.80, दमोह में 75.03, दतिया में 75.30, देवास में 81.22, धार में 77.15, डिंडोरी में 82.51, गुना में 78.69, ग्वालियर में 67.01, हरदा में 81.89, इंदौर में 70.54, जबलपुर में 74.30, झाबुआ में 76.72, कटनी में 75.33, खंडवा में 74.93, खरगोन में 78.89, मंडला में 82.05, मंदसौर में 83.28, मुरैना में 68.27, नर्मदापुरम में 81.85, नीमच में 83.30, निवाड़ी में 82.36, पन्ना में 74.07, रायसेन में 79.41, राजगढ़ में 84.29, रीवा में 66.85, सागर में 75.64, सतना में 73.25, सीहोर में 81.54, िसवनी में 85.68, शहडोल में 77.90, शाजापुर में 84.99, श्योपुर में 79.52, रतलाम में 83.40, शिवपुरी में 78.83, सीधी में 69.73, सिंगरौली में 74, टीकमगढ़ में 75.28, उज्ज्ौन में 78.36, उमरिया में 76.57, विदिशा में 79.20 फीसदी मतदान हुआ है।
भोपाल जिले में मतदान
विधानसभा क्षेत्र प्रतिशत
बैरसिया 78.56%
हुजूर 70.55%
उत्तर 69.10%
नरेला 65.18%
गोविंदपुरा 63.14%
मध्य 60.67%
दक्षिण पश्चिम 59.14%
सागर में 103 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने किया मतदान
सिंधी समाज सागर और शहर की सबसे वरिष्ठ मतदाता गुरुगोविन्द सिंह वार्ड निवासी श्रीमती चंद्रादेवी बुधवानी ने 103 वर्ष की आयु में मतदान केंद्र पर जाकर मतदान किया। उनके बेटे चंद्रभान बुधवानी ने बताया कि वे भारत के आजाद होने के बाद प्रथम लोकसभा चुनाव से 2019 लोकसभा चुनाव तक सभी निर्वाचन में सजग मतदाता रही हैं। मध्य प्रदेश के प्रथम विधानसभा चुनाव से लेकर आज तक एवं नगरीय निकाय के चुनाव से आज तक हुए समस्त चुनाव में वे लगातार मतदान करती आ रही हैं। कोई भी चुनाव हो वे मतदान करने से नहीं चूकती हैं।
पैर से वोटिंग कर दिया संदेश
इंदौर। यहां लोकतंत्र के महापर्व पर विक्रम अग्निहोत्री ने सबको हैरान कर दिया। इंदौर के एक पोलिंग बूथ पहुंचे तो मतदान कर्मचारी देखकर हैरान हो गए कि यह तो दिव्यांग है और इसके दोनों हाथ नहीं है कैसे वोटिंग करेंगे। लेकिन जब विक्रम ने उन्हें बताया कि वह हर काम पैर से करते हैं और यहां भी वोटिंग से लेकर सिग्नेचर तक पैर से ही करेंगे तो इस जज्बे को देखकर यहां मौजूद लोग उन्हें सैल्यूट करने से अपने आपको रोक नहीं पाए।
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