MP ELECTION 2023: रायसेन में 2 सीटों पर कड़ी टक्कर, सांची में बाहरी ने बिगाड़ा गणित

MP ELECTION 2023: रायसेन। राजधानी भोपाल से सटे रायसेन जिले की चारों विधानसभा सीटों पर चुनाव अब जोर पकड़ लिया है। किंतु जिस तरह से राजनैतिक दलों के बीच का समीकरण बदला है, इससे पूरा चुनाव दिलचस्प हो गया है। जिले की कुल चार विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा के पास तीन व कांग्रेस के पास एक सीट है। सांची विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से भाजपा में आए डॉ. प्रभुराम चौधरी वर्ष 2020 के उप चुनाव में कांग्रेस मदनलाल चौधरी को करीब 64 हजार रिकार्ड वोटों से हरा चुके हैं। उनकी पहचान ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक के रूप में है। कांग्रेस ने इस बार भोपाल के ह्दयरोग विशेषज्ञ जीसी गौतम को टिकट दिया है। वे मूलतः मुरैना जिले के हैं, किंतु सांची के पास सेवासनी में जमीन खरीदकर रायसेन जिले का निवासी बन गए। इससे उन पर बाहरी होने का टैग लगा है। क्षेत्र में उनके विरोधी इसी तरह का प्रचार भी कर रहे हैं। ऐसे में सांची का चुनाव को ई खास रोचक नहीं रह गया है।
कांग्रेस ने फिर से मुमताज खान को पार्टी का जिलाध्यक्ष बना दिया। वे काफी समय से रायसेन जिले के कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने हुए हैं, किंतु वे भोपाल में रहते हैं। स्थानीय कांग्रेसी कहते हैं कि अपने कुछ लोगों के जरिए स्थानीय राजनीति में दखल देने की कोशिश करते हैं। इससे कांग्रेस में नाराजगी बढ़ गई है। बताते हैं कि मुमताज के दोबारा अध्यक्ष बनने से रायसेन कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा नाखुश है, इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए जिले की उदयपुरा सीट भी चुनौतीपूर्ण बनी है। इसकी एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि भाजपा में आपसी अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है। इसका नुकसान हो सकता है।
उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र की यह है तासीर
उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र होशंगाबाद (नर्मदापुरम) लोकसभा क्षेत्र में आता है। 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह विधानसभा अस्तित्व में आई । उदयपुरा विधानसभा के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर इसे बनाया गया था। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का काबिज है। कांग्रेस के देवेंद्र पटेल गडरवास यहां 2018 से विधायक हैं। वे पुरबिया समाज से हैं और इस क्षेत्र में पुरबिया समाज की अच्छी खासी संख्या है। पिछली बार 2018 में उन्होंने भाजपा के रामकिशन पटेल को हराया था। इस बार भाजपा ने पूर्व अध्यक्ष रह चुके शिवाजी पटेल के बेटे नरेंद्र पटेल को टिकट दिया है। वे स्थानीय नहीं हैं। दूसरी तरफ भोपाल में निवास करने की वजह से स्थानीय जुड़ाव नहीं के बराबर है। इस पर पार्टी ने रामकिसन पटेल को टिकट नहीं दिया। बताते हैं कि अंदरूनी तौर पर वे खुश नहीं हैं और चुनाव प्रचार भी पूरे मन से करेंगे या नहीं, इस पर संदेह है।
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