MP Election 2023 : उमा के भतीजे राहुल का मुकाबला एक बार फिर कांग्रेस की चंदा से

बुंदेलखंड। अंचल के टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट इस मामले में चर्चित है, क्योंकि यहां भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी मैदान में हैं। उनका मुकाबला एक बार फिर पुरानी प्रतिद्वंद्वी चंदा रानी गौर से है। राहुल ने 2018 में चंदा रानी को ही लगभग साढ़े 11 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2013 में चंदा रानी ने राहुल को साढ़े 5 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। भतीजे के कारण इस चुनाव से उमा भारती की भी प्रतिष्ठा जुड़ी रहती है। यह उमा का गृह क्षेत्र भी है। उनका गांव डूंड़ा इसी क्षेत्र में है।
अजय ने किया निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान
खरगापुर से कांग्रेस के दो ही प्रमुख दावेदार थे, चंदा रानी गौर और प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव। चंदा रानी काे टिकट मिलने के बाद अजय ने नाराज होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। पहले उन्होंने क्षेत्र में न्याय यात्रा निकाली और अब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एेलान कर दिया है। क्षेत्र में लोधी और यादव समाज के बीच पटरी नहीं बैठती। ऐसे में यादव वोट कांग्रेस के पाले में जा सकता था लेकिन अजय यादव के बागी होकर खड़े होने से कांग्रेस का समीकरण गड़बड़ा सकता है। अजय यादव समाज की दम पर ही चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
तीन क्षत्रियों को टिकट देने से नाराजगी
खरगापुर में बगावत करने वाले कांग्रेस के अजय यादव ने टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की पांच में से तीन सीटों में क्षत्रिय वर्ग के नेताओं को टिकट देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दोनों जिलों में पिछड़े वर्गों की उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि पिछली बार भी तीनों क्षत्रियों को टिकट दिया गया था। तीनों चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार फिर उन्हें ही मौका दिया गया। अजय यादव का कहना था कि इस अन्याय को अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह आरोप लगाते हुए उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया और अब चुनाव लड़ रहे हैं।
स्थानीय मुद्दे डालते हैं असर
जातीय समीकरणों के अलावा स्थानीय मुद्दे भी चुनाव पर असर डालते हैं। जैसे, क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की दिशा में ज्यादा काम नहीं हुआ। रोजगार के अभाव में पलायन नहीं रोका जा सका। स्वास्थ्य सेवाएं दुूरुस्त नहीं हैं और स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया जा सका। हालांकि क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा बढ़ी है और सड़कों की दिशा में काफी काम हुआ है। चुनाव में ग्रामीण कई बार इन मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतर आते हैं।
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