MP Election : भाजपा को प्रदेश की कमजोर 60 सीटों पर ‘पालनहार’ की तलाश

भोपाल। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी प्रदेश भाजपा को ऐसी सीटों पर पालनहार की तलाश है,जो इन सीटों को जिताने की गारंटी ले सके।पिछले एक पखवाड़े से केन्द्रीय नेतृत्व इसी एक्सरसाइज में जुटा हुआ है कि सूबे की कमजोर सीटों को कैसे जिता जाए। नेतृत्व ने इसके लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक बैठक कर मंथन किया, लेकिन अब तक पूरी तरह से निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। फिलहाल मध्यप्रदेश चुनाव से जुड़े नेताओं से कहा गया है कि उन्हेंं हारी हुई सीटों पर बार-बार भ्रमण करना है, जिससे पार्टी के पक्ष में माहौल बन सके और वहां के कार्यकर्ता मजबूती से पार्टी को जिताने में जुट जाए।
नए चेहरों को मिल सकता है टिकट
गौरतलब है कि वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को 109 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। भाजपा के अंदरुनी सर्वे में 60 से ज्यादा सीटें अब भी कमजोर बताई जा रही है। पार्टी को इन्हीं सीटों की चिंता सता रही है और पिछले 15 दिनों से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मौजदूगी में इसके लिए रणनीति पर मंथन हो रहा है। सूत्रों की माने तो दिल्ली प्रदेश चुनाव की बागडोर संभाले नेताओं से यह जानना चाहती है कि इन सीटों पर जीत की जिम्मेदारी कौन उठा रहा है। दरअसल इन सीटों पर पार्टी के सामने चेहरों का संकट है। इनमें से कई ऐसी सीटें है, जहां से कद्दावर नेता चुनाव हारे थे और उन्हें फिर से टिकट देने से जीत की उम्मीद भी कम है, ऐसे में पार्टी नेतृत्व चाहता है कि यदि वहां नए चेहरे को टिकट दिया जाता है, तो उसे जिताने की जिम्मेदारी कौन वरिष्ठ नेता लेगा।
नेतृत्व ने दिए कड़े कदम उठाने के संकेत
दिल्ली में पिछले दिनों हुई बैठक में नेताओं को साफ तौर पर कहा गया है कि फिलहाल उनके द्वारा पूरा फोकस कमजोर सीटों पर होना चाहिए। यही वजह है कि दिल्ली की बैठक के बाद नेताओं ने प्रदेश आतेे ही हारी हुई सीटों का रुख किया। प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी भोपाल के दक्षिण -पश्चिम का दौरा कर चुके हैं। भोपाल की ही मध्य विधानसभा में मंगलवार को कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ है, तो आने वाले दिनों में यहां पार्टी के वरिष्ठ नेता बड़े आयोजन में शामिल हो सकते हैं। यह सिलसिला प्रदेश की दूसरी हारी हुई सीटों पर भी चलता रहेगा। जानकारों की माने तो ग्वालियर में कार्यविस्तारित बैठक में इस पर मंथन होगा और वहीं इन सीटों को जीतने का फार्मूला भी निकलेगा। दिल्ली की बैठक में सरकार में शामिल कुछ मंत्रियों और विधायकों की हालत पतली होने को लेकर भी चर्चा हुई थी। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व से साफ कह दिया था कि उन्हें वे कारण बिल्कुल नहीं चाहिए, जिससे पार्टी को नुकसान हो। इसके लिए कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। विशेषज्ञ कड़े कदम का आशय खराब स्थिति वाले मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटे जाने से जोड़ रहे हैं। इसके लिए प्रदेश संगठन को संकेत भी दिया जा चुका है और ऐसे क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं को जाने को कहा गया है।
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