MP Election Result 2023 : प्रदेश के दिग्गजों के नतीजों पर रहेगी सबकी नजर, कुछ का कॅरियर दांव पर

भोपाल। लंबे इंतजार के बाद रविवार का वह दिन आ गया, जब ईवीएम विधानसभा चुनाव लड़े प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला सुना देंगी। लोगों की नजर उन सीटों पर ज्यादा है, जो हाईप्रोफाइल हैं या जहां से वे प्रत्याशी मैदान में हैं जो अघोषित रूप से तय आयु सीमा पार कर चुके हैं। इनमें से कई का राजनीतिक कॅरियर ही दांव पर है। मतगणना के दौरान इन सीटों के नतीजों को लेकर उत्सकुता ज्यादा होगी। हालांकि हाईप्रोफाइल सीटें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की भी हैं लेकिन यहां इन दोनों की जीत पर किसी को संशय नहीं है। पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी चर्चित राजनीतिक चेहरे हैं लेकिन इनकी जीत को लेकर भी अधिकांश आश्वस्त हैं। फिर भी इनका नतीजा हर कोई जानना चाहेगा।
इन दिग्गजों के नतीजों का भी इंतजार
दतिया से चुनाव लड़ रहे नरोत्तम मिश्रा, सुरखी के गोविंद सिंह राजपूत, चुरहट से अजय सिंह, मंडला जिले से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे कई अन्य दिग्गज भी कड़े मुकाबले में फंसे बताए गए हैं। इनके अलावा प्रदेश सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की भी जीत आसान नहीं है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति परेशान
गोटेगांव से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति परेशान हैं। पहले तो कांग्रेस ने उनका टिकट काट कर शेखर चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन प्रजापति अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर टिकट लाने में कामयाब रहे। पर शेखर चौधरी नहीं माने, वे बागी होकर चुनाव लड़ बैठे। उनके कारण प्रजापति खतरे में हैं। शेखर चौधरी के कारण गोटेगांव के नतीजे का सबको इंतजार है।
इन नेताओं का राजनीतिक कॅरियर लगा है दांव पर
विधानसभा का चुनाव लड़ रहे जयंत मलैया, गौरीशंकर बिसेन, नागेंद्र सिंह नागौद, नागेंद्र सिंह गुढ़, गोविंद सिंह लहार, सीतासरन शर्मा होशंगाबाद ऐसे प्रत्याशी हैं, जो एक तरह से अपना आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें जयंत मलैया और नागेंद्र सिंह नागौद तो 2018 में ही घोषणा ही कर चुके थे कि यह उनका आखिरी चुनाव है फिर भी भाजपा नेतृत्व ने उन्हें टिकट दे दिया। गौरीशंकर बिसेन ने घोषणा कर दी थी कि इस बार उनकी बेटी मौसम बिसेन चुनाव लड़ेगी लेकिन बाद में वे खुद चुनाव लड़ रहे हैं। अब तक अजेय रहे डॉ गोविंद सिंह खुद इस बार खुद को फंसा महसूस कर रहे हैं। सीतासरन शर्मा को अपने भाई से ही मुकाबला करना पड़ रहा है। उम्रदराज इन नेताओं का कॅरियर चुनाव पर निर्भर है। यदि जीते, सरकार बनी तो इनका मंत्री बनना तय है लेकिन हारे तो राजनीतिक कॅरियर पर विराम लग सकता है।
दिमनी के नतीजे पर नजर
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदेश ही नहीं देश के प्रभावशाली नेता हैं। वे मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे मुख्यमंत्री का अघोषित चेहरा भी हैं। भाजपा की सरकार बनी तो वे मौका मिल सकता है। दिमनी से उनके मुकाबले में फंसे होने की खबर आती रही हैं। इसलिए ज्यादा लोगों की उत्सुकता उनका नतीजा जानने की होगी। खास बात यह है कि यहां बसपा से लड़े बलवीर दंडोतिया के भी मुकाबले में होने की खबर है।
नागेंद्र को बागी से खतरा
सतना जिले की नागौद विधानसभा सीट के चुनाव की खासियत यह है कि यहां भाजपा से लड़ रहे पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह को कांग्रेस के बागी से खतरा है। नागेंद्र इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। इसलिए वे पांच साल तक एक्टिव भी नहीं रहे। कांग्रेस के बागी यादवेंद्र सिंह के भी क्षत्रिय समाज का होने से समीकरण उलझ गए हैं। इसलिए नागौद के नतीजे पर अधिकांश लागों की नजर होगी।
सांसद गणेश चर्चा में
भाजपा ने इस बार सतना से पांच बार लोकसभा का चुनाव जीते गणेश सिंह को सतना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया है। उनके नतीजे पर भी नजर होगी क्योंकि उनके भी उलझे होने की खबर है। भाजपा के बागी रत्नाकर चतुर्वेदी शिबा के कारण उन्हें खतरे में बताया जा रहा है। गणेश सिंह विधानसभा चुनाव हारे, तो उनका भी राजनीतिक कॅरियर प्रभावित हो सकता है।
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