MP Election : वर्ष 1977 में की गई इलेक्ट्रॉनिक वोट मशीन की परिकल्पना 2001 में हो सकी साकार

MP Election : वर्ष 1977 में की गई इलेक्ट्रॉनिक वोट मशीन की परिकल्पना 2001 में हो सकी साकार
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ईवीएम (electronic voting machine) का उपयोग होने से मतदान की प्रक्रिया पहले से बहुत आसान हो गई है।

भोपाल। ईवीएम (electronic voting machine) का उपयोग होने से मतदान की प्रक्रिया पहले से बहुत आसान हो गई है। मप्र में नवंबर 2023 में 16वीं विधानसभा के लिए मतदान होना है। मप्र में चुनाव ईवीएम के जरिए करवाया जा रहा है। निर्वाचन आयोग द्वारा 1977 में इस बात की कल्पना की गई थी कि आने वाले दिनों में चुनाव ईवीएम से संपन्न हों। निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद को इसके डिजाइन का काम सौंपा था। वर्ष 1979 में इसकी एक प्रतिकृति तैयार की गई। इसे 1980 में राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष निर्वाचन आयोग द्वारा इसे प्रदर्शित किया गया था। ईवीएम मशीन का उपयोग मई 2001 में राज्य विधानसभा निर्वाचनों, तमिलनाडु, केरल, पांडिचेरी और पश्चिम बंगाल के सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग किया गया। इसके बाद प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये आयोग ने वर्ष 2004 से ईवीएम का प्रयोग किया। वर्ष 2004 में लोकसभा के साधारण निर्वाचन में देश के सभी 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में भी ईवीएम का प्रयोग किया गया।

5 वॉल्ट वाले पाॅवर पैक बैटरी से चलती ईवीएम

ईवीएम की दो यूनिट होती हैं। पहली कंट्रोल और दूसरी बैलेट यूनिट। दोनों को जोड़ने के लिए एक केबल होती है। वर्ष 2006 के बाद की ईवीएम की दशा में चार बैलेट यूनिट को अधिकतम 64 अभ्यर्थियों (नोटा सहित) को शामिल करने के लिए एक साथ मिलाया जा सकता है। वर्ष 2006 के बाद उन्नत की गई ईवीएम की दशा में 24 बैलेट यूनिटों में 384 अभ्यर्थियों (नोटा सहित) को शामिल करने के लिए एक साथ मिलाया जा सकता है। यह 75 वोल्ट वाले पॉवर पैक बैटरी से चलती है।

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