MP News : देश में सर्वाधिक शिशु मृत्युदर मध्यप्रदेश में स्थिति सुधारने देश के एक्सपर्ट दे रहे ट्रेनिंग

भोपाल। मध्यप्रदेश में देश में सर्वाधिक शिशु मृत्युदर है। साल 2019 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में बालकों में शिशु मृत्युदर 1,000 जीवित बालकों पर 51 और 1,000 जीवित बालिकाओं पर 46 रही। इन आंकड़ों में सुधार के लिए गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में स्टेट न्यू बॉर्न एण्ड पीडियाट्रिक रिर्सोस सेंटर तैयार किया गया है, जिसमें देश के एक्सपर्ट डॉक्टर प्रदेशभर के शिशु रोग विशेषज्ञ को ट्रेनिंग दे रहे हैं। यहां 26 दिन से 16 साल तक के ट्रॉमा में आने वाले बच्चों को किस प्रकार इलाज देना सही यह सिखाया जाएगा।
पहले बैच में प्रदेशभर से आए 35 डॉक्टर
प्रदेशभर की अलग-अलग बाल्य गहन चिकित्सा इकाइयों (पीआईसीयू) में कार्यरत 35 चिकित्सकों को पहले बैच में शामिल किया गया है। इस तरह के लगातार अलग-अलग बैच बना कर पेडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों की ट्रेनिंग होंगी। शुरुआत 3 दिवसीय प्रशिक्षण से की गई है। जिसमें बच्चों का बीपी चेक करने से लेकर वेंटिलेटर पर बच्चे के इलाज तक के गुण सिखाए जाएंगे।
क्या होगा लाभ
जिलों में मौजूद व्यवस्थाओं को बेहतर उपयोग हो सकेगा।
बच्चों को ट्रीटमेंट के लिए बार-बार भोपाल, इंदौर व ग्वालियर लेके नहीं जाना पड़ेगा।
शिशु मर्त्यु दर में कमी आएगी।
बच्चों को गोल्डन टाइम में सही प्राथमिक उपचार मिल सकेगा।
कम रेफरल होने से बड़े अस्पतालों में एक बच्चे को डॉक्टर ज्यादा समय दे पाएंगे।
समय की बचत होगी व परिजनों पर इलाज का आर्थिक बोझ भी कम पड़ेगा।
दिल्ली और चंडीगढ़ से आए विशेषज्ञ
प्रशिक्षण देने वालों में नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से प्रोफेसर डॉ. शालू गुप्ता, पीजीआईएमआई चंडीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेश अनुरंगना, डॉ. कार्ति एन और डॉ. मिथेलश तिवारी शामिल रहे। इनके साथ जीएमसी जम्मू से डॉ. सुरजीत कुमार और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से डॉ. भारती चौबे भी टीम का हिस्सा हैं।
बेहतर परिणाम सामने आएंगे
इस ट्रेनिंग से आने वाले समय में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। सिर्फ डॉक्टरों को नहीं, बल्कि पीआईसीयू में कार्यरत नर्सों की भी ट्रेनिंग होगी। जिससे प्रदेश के बच्चों को उनके घर के पास ही सही इलाज मिले। इसका उद्देश्य शिशु मर्त्यु दर में कमी लाना है।
डॉ. मंजूषा गोयल, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, गांधी मेडिकल कॉलेज
पुतले पर हो रही ट्रेनिंग, सही करने पर जलती है हरी बत्ती
इस दौरान ट्रेनिंग के लिए आए डॉक्टरों को मौजूद तकनीकों व उपकरणों के ज्यादा से ज्यादा उप्ायोग बताए जा रहे हैं। इसके साथ स्किल लैब में उन्हें आधुनिक तकनीक समझाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। साथ ही उन्हें पीआईसीयू में हो रहे ट्रीटमेंट भी बताए जा रहे हैं। यही नहीं बच्चों की तरह दिखने व बर्ताव करने वाले पुतलों पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें गलत ट्रीटमेंट पर लाल बत्ती और सही ट्रीटमेंट पर हरी बत्ती जलती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS