MP Politics : कांग्रेस की लेटर सियासत जारी , अब प्रोफेसर डॉक्टर का पत्र शेयर कर शिवराज सरकार को घेरा

MP Politics : कांग्रेस की लेटर सियासत जारी , अब  प्रोफेसर डॉक्टर  का पत्र शेयर कर शिवराज सरकार को घेरा
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एक बार फिर कांग्रेस ने लेटर सियासत जारी रखते हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर डॉक्टर सर्वेश जैन का प्रधानमंत्री मोदी को लिखा गया एक पत्र शेयर किया है । जिस पत्र में डॉक्टर के द्वारा पीएम मोदी को मध्य प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार पर केंद्रित बातों को बताया गया है ।

भोपाल । मध्य प्रदेश में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं । जिसको लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों के नेता एक दूसरे पर हमलावर हैं । जहां कांग्रेस के द्वारा भाजपा के 18 साल के शासन पर सवाल उठाया जा रहा है तो दूसरी तरफ भाजपा कमलनाथ की 15 महीने की सरकार को निष्क्रिय बताकर कांग्रेस पर हमलावर है ।

इसी घटनाक्रम को चालू रखते हुए एक बार फिर कांग्रेस ने लेटर सियासत जारी रखते हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर डॉक्टर सर्वेश जैन का प्रधानमंत्री मोदी को लिखा गया एक पत्र शेयर किया है । जिस पत्र में डॉक्टर के द्वारा पीएम मोदी को मध्य प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार पर केंद्रित बातों को बताया गया है । इसके बाद यह है लेटर आजकल सोशल मीडिया में वायरल है । लेकिन इस लेटर पर डॉक्टर साहब के हस्ताक्षर नहीं है ।

क्या किया है ट्विट

मध्य प्रदेश कांग्रेस के द्वारा इस पत्र को ट्विटर पर शेयर कर लिखा गया है कि 50% कमीशन का एक और लेटर वायरल ग्वालियर और रीवा के पेटी कांट्रेक्टर के 50% कमीशन राज को बेनक़ाब करने के बाद अब सागर के प्रोफ़ेसर का पत्र वायरल, प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिव’राज की कमीशन खोरी की पोल खोली।

शिवराज जी,पाप का घड़ा भरकर बहने लगा ❓




क्या लिखा है पत्र मे

इस पत्र मे प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है कि मेरे पिता का सपना था की, सागर शहर में मेरा अपना एक भूखंड हो, जिस पर मैं अपनी वेतन और नियमानुसार की गई प्राइवेट प्रैक्टिस से, एक मकान बनवा सकूं जो मेरे शासकीय सेवा से निवृत होने पर (या निकाले जाने पर ), मेरा आसरा बने । इसके लिए मैने एक भूखंड क्रय किया, लेकिन इतनी सारी खिड़कियां पर और इतनी सारी फीस और रिश्वत के बाद, मेरा सारा उत्साह और देशभक्ति काफूर हो गई।

महोदय, रजिस्ट्री करवाने गए तो स्टांप और फीस के अलावा एक "ऑफिस खर्चा" नाम से हस्तलिखित पर्ची मिल गई जिस पर दी जाने वाली रिश्वत का ब्यौरा था। वहां से फ्री होने पर नामांतरण के दो बार दस दस हजार रुपए देने पढ़े । तत्पश्चात डायवर्सन में तकरीबन एक लाख रुपए लगे, जिसमे से पचास हजार रुपए रेडक्रास सोसायटी की रसीद के नाम पर लिए गए। अब नक्शा पास करने में एक लाख दस हजार की रिश्वत मांगी जा रही है ( पचपन हजार रुपए जिसकी की रसीद मिलेगी, वह अलग से )

महोदय, उक्त नाटक पिछले दो तीन बरस के दौरान हुआ, मेरी समझ यह कहती है की इस प्रकरण में दोषी है, हमारी व्यवस्था क्योंकि यह सारे कार्य आज कंप्यूटर के दौर में सिंगल विंडो पर होना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार कम हो और आम आदमी को फीस या रिश्वत जो भी देना है वो एक ही जगह पर, एक बार में लिया जाए। महोदय, इस चिट्ठी के बाद मुझसे उक्त आरोपों के सबूत मांगे जाएंगे, लेकिन क्या यह सबूत ही पर्याप्त नहीं की उक्त कथोपकथन में वर्णित सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के व्यक्तिगत संपत्ति आप से ज्यादा होगी ?

लोकायुक्त या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से कोई उम्मीद करना बेकार है क्योंकि वो आम आदमी को परेशान करने में ज्यादा रुचि लेती हैं बजाए भ्रष्टाचार को उसके उद्गम स्थल से खत्म करने में महोदय, इस स्वतंत्रता दिवस पर आपको सच्चाई से अवगत कराने को ही मैं सच्ची देशभक्ति मानता हूं ।

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