MP Politics : दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल को लिखा पत्र , सीएम की विधानसभा में हुए 100 करोड़ के इस बड़े घोटालें की जांच कराने की रखी मांग

भोपाल । मध्य प्रदेश ( mp news ) में इस वर्ष विधानसभा चुनाव ( MP ELECTION) होने है । इसको लेकर कांग्रेस ( MP CONGRESS ) और भाजपा ( MP BJP ) दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर चल रही है । एक तरफ जहां कांग्रेस के द्वारा लगातार भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को सामने लाया जा रहा है तो भाजपा के द्वारा भूतकाल में रही कांग्रेस की सरकारों की विफलताओं को गिनाया जा रहा है ।
100 करोड़ रूपए के गेहूं धून घोटाले का आरोप
इसी क्रम में अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को एक पत्र लिख प्रदेश की भाजपा सरकार पर बड़ा निशाना साधा है । इस पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से सीएम शिवराज सिंह चोहान की विधानसभा में 100 करोड़ रूपए के गेहूं धून घोटाले का आरोप लगा लिखा है कि 100 करोड़ रूपये के गेहूँ घुन घोटाले की या तो लोकायुक्त से जांच कराई जाये या राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरों को जांच के लिये सौप दिया जाये ।
क्या दी घोटालों की जानकारी
1. सीहोर जिले के बकतरा क्षेत्र के वेयर हाउस में वर्ष 2017-18, 2018-19 2019-20 और 2020-21 तक गेहूँ को 4-5 वर्ष इसलिये रखा गया ताकि सत्ता के शीर्ष ठिकाने से जुड़े वेयर हाउस मालिकों को लाखों रूपये का किराया दिया जा सके। ये गोडाउन किन प्रभावशील लोगों के है, यह जांच का विषय है।
2. 34000 मीट्रिक टन गेहूँ में जब कीड़े लग गये तो चुपचाप से उसे म.प्र. वेयर हाउस के ओबेदुल्लागंज तहसील में स्थित दिवटिया और नूरगंज के गोदामों में भेज दिया गया।
3. गेहूँ को बकतरा से दिवटिया अथवा नूरगंज इसलिये भेजा गया ताकि कीड़े लगने से जो नुकसान हुआ उसकी वसूली बकतरा के वेयर हाउस मालिकों से न की जाये और उन्हें लाखों रूपये किराये में दिये जा सके।
4. बकतरा से नूरगंज, दिवटिया तक का परिवहन आपके परिचित श्री अनिल चौहान ने किया इसमें भी करोड़ों रूपये की राशि की हेराफेरी की गई। जबकि घुने गेहूँ के परिवहन की कोई जरूरत ही नही थी।
5. सरकारी समितियों से गेहूँ खरीदी के 8 से 10 माह में गेहूँ या तो एफ.सी.आई. उठाव कराती है या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों से लक्षित परिवारों को बांटा जाता है। इस घोटाले के लिये समय पर न तो संबंधित और जिम्मेदार एजेंसियों ने उठाया न ही गरीबों को वितरित किया।
6. अतिरिक्त खाद्यान का स्टॉक होने पर नीलामी की जाती है परन्तु यहाँ 4-5 वर्षो तक जानबूझ कर गेहूँ इसलिये रखा गया ताकि उसकी राजनैतिक संरक्षण रखने वाले गोदाम मालिकों को एक-एक गोदाम में 40-50 लाख रूपये से अधिक की धनराशि किराये में मिल सके।
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