MP POLITICS : 'शिव' से नाराज 'उमा', कहा- 'सुझावों की अनदेखी करना है अपमान'

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल विस्तार आखिरकार गुरुवार 2 जुलाई को हो ही गया। लंबी मशक्कत और चर्चाओं के बाद सभी पक्षों में सहमति और आलाकमान की हरी झंडी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने चौथे कार्यकाल के दूसरे विस्तार को पूरा किया। लेकिन कैबिनेट विस्तार से बीजेपी की वरिष्ठ नेता नाराज हैं।
मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती शिवराज कैबिनेट के विस्तार से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा है कि मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन का ध्यान नहीं रखा गया है। भारती ने इस बाबत पार्टी नेतृत्व को पत्र भी लिखा है। भारती गुरुवार को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ के विशेष अदालत में पेश हुईं। इससे पहले उन्होंने मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर की।
उमा भारती ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथियों के साथ पार्टी में आने और कांग्रेस के ध्वस्त होने पर उन्हें भारी ख़ुशी है। लेकिन मंत्रिमंडल के गठन में मेरे सुझावों की पूर्णत: अनदेखी करना उनका अपमान है जो मुझसे जुड़े हुए हैं।
भारती के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में खलबली मच गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारती ने बुधवार को ही पार्टी नेतृत्व को अपनी सैद्धांतिक असहमति से अवगत करा दिया था। उन्होंने जातीय असंतुलन को ठीक करने की गुजारिश भी पार्टी नेतृत्व से की, लेकिन ऐसा लगता है उनकी बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई।
लंबे इंतजार के बाद मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट का गुरुवार को विस्तार तो किया गया, लेकिन नए मंत्रियो को देखकर लगता है बीजेपी का सबसे ज्यादा ध्यान प्रदेश में होने वाले उपचुनावों पर है। उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है जबकि बीजेपी के अपने पुराने नेताओं को कैबिनेट में कम भागीदारी से संतोष करना पड़ा है।
मध्य प्रदेश में गुरुवार सुबह 11 बजे राजभवन में आयोजित समारोह में 28 नए मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 20 कैबिनेट और 8 राज्य मंत्री हैं। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिवराज खेमे के 18 और सिंधिया समर्थकों में से 10 नेताओं ने शपथ ली वहीं 2 नेता पहले ही मंत्री बनाये जा चुके हैं। फ़िलहाल मंत्रियों में विभागों का बंटवारा नहीं हुआ, लेकिन कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों की ज्यादा भागीदारी को लेकर पार्टी के अंदर से विरोध के स्वर भी सुनाई देने लगे हैं।
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