MP POLITICS : यशोधरा का इंकार ज्योतिरादित्य का रास्ता साफ करने की रणनीति का हिस्सा!

- ज्योतिरादित्य को भी विधानसभा चुनाव लड़ाने की अटकलें
- जरूरी नहीं कि यशोधरा की मंशा पूरी करे भाजपा नेतृत्व
दिनेश निगम 'त्यागी', भोपाल
MP POLITICS : केंद्रीय मंत्री (Union Minister) ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की बुआ (Aunty) और प्रदेश सरकार (Government) में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) ने आज बड़ा धमाका कर दिया। वे पहली ऐसी मंत्री बन गईं जिन्होंने भाजपा नेतृत्व को पत्र लिख कर विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने लिखा है कि वे चार बार कोरोना से पीड़ित रही हैं और अस्वस्थता के चलते विधानसभा का चुनाव लड़ना नहीं चाहतीं। उनका यह निर्णय तब सामने आया, जब पार्टी अपने तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार भाजपा सांसदों और एक भाजपा महासचिव को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार चुकी है। इसके बाद से अटकलें चल रही हैं कि भाजपा नेतृत्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य को भी विधानसभा चुनाव लड़ाएगा। इसीलिए कहा जा रहा है कि यशोधरा का चुनाव लड़ने से इंकार ज्योतिरादित्य का रास्ता साफ करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि जरूरी नहीं है कि भाजपा नेतृत्व यशोधरा की इस मंशा को पूरी करे और ज्योतिरादित्य को शिवपुरी से ही चुनाव लड़ाए।
सिंधिया परिवार के लिए सुरक्षित शिवपुरी
यशोधरा राजे शिवपुरी विधानसभा सीट से विधायक हैं। इस क्षेत्र ही नहीं, पूरे जिले में महल का अच्छा असर माना जाता है। लोकसभा हो या फिर विधानसभा चुनाव, सिंधिया परिवार का सदस्य यहां से हमेशा जीतता रहा है। यशोधरा खुद 1998 के बाद यहां से विधानसभा के चार चुनाव जीत चुकी हैं। एक बार जब वे लोकसभा चुनाव लड़ीं और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, तब ही 2007 के उप चुनाव में यहां से कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी जीतने में सफल रहे थे क्योंकि उनके लिए ज्योतिरादित्य ने दिन-रात एक की थी। मुकाबले में महल विरोधी गणेश गौतम भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। इससे साफ है कि शिवपुरी विधानसभा सीट महल के लिए सुरक्षित है और ज्योतिरादित्य यहां से ही रिकार्ड मतों के अंतर से जीत दर्ज कर सकते हैं। संभवत: उनके लिए ही यशोधरा सीट खाली करना चाह रही हैं और चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।
जरूरी नहीं शिवपुरी से मिले टिकट
यशोधरा के इंकार के बाद भी भाजपा नेतृत्व ज्योतिरादित्य को शिवपुरी से चुनाव लड़ाए, यह जरूरी नहीं है। भाजपा द्वारा अब तक जितने भी केंद्रीय नेताओं को विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया है, उनमें से अधिकांश को कांग्रेस के कब्जे वाली सीटें जीतने की चुनौती दी गई है। ऐसे में ज्योतिरादित्य जैसे बड़े नेता को उनके प्रभाव वाली सीट से ही टिकट दे दिया जाएगा, यह बात गले नहीं उतरती। फिलहाल तो खबर यही है कि ज्योतिरादित्य का भी चुनाव लड़
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