MP Vidhan Sabha Chunav 2023: मालवा-निमाड़ की आधा दर्जन सीटों पर बागी बिगाड़ेंगे ‘गणित’

भोपाल। विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे कई बागियों को भाजपा ने मना लिया है और कई को कांग्रेस ने। बावजूद इसके मालवा-निमाड़ की आधा दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों में भाजपा- कांग्रेस के बागी मैदान में डटे हैं। कई सीटों में इनका खासा संपर्क और असर है। इसकी वजह से पार्टी नेतृत्व की न मानने वाले ये रूठे बागी जीत- हार के समीकरण प्रभावित करते दिख रहे हैं। इसका असर दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस की संभावनाओं पर पड़ रहा है।
किसी ने भाजपा, किसी ने कांग्रेस को दिया झटका
प्रमुख बागियों में से कुछ बागियों ने भाजपा को झटका दिया तो कुछ ने कांग्रेस को। धार जिले की मनावर सीट से भाजपा नेत्री पूर्व मंत्री रंजना बघेल को मना लिया गया, लेकिन धार सीट से बगावत कर मैदान में उतरे राजीव यादव नेताओं के खोजने के बाद भी नहीं मिले। बुरहानपुर में हर्षवर्धन नंदकुमार सिंह चौहान नहीं माने तो महू में कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार ने मैदान में डटे रहने के लिए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। देपालपुर में हिंदूवादी नेता राजेंद्र चौधरी ने कह दिया कि वे नहीं मानने वाले। इसी प्रकार जाेबट में माधौ दादा और अलीराजपुर में वकील सिंह ठकराला बागी हो चुके हैं।
बुरहानपुर में त्रिकोणीय, धार में रोचक मुकाबला
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन को मनाने की भरपूर कोशिश हुई , लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। उनके समर्थन में भाजपा के कई नेताओं ने भी इस्तीफे दे दिए हैं। हर्षवर्धन के कारण अर्चना चिटनीस खतरे में हैं। धार में चतुष्कोणीय मुकाबले के हालात हैं। प्रयास के बावजूद भाजपा के बागी राजीव यादव नहीं माने। इससे वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा का चुनाव दांव पर है। इसी प्रकार कांग्रेस ने बालमुकुंद सिंह गौतम की पत्नी प्रभा गौतम को टिकट दिया। इससे नाराज होकर कुलदीप बुंदेला चुनाव लड़ रहे हैं। इससे प्रभा की स्थिति कमजोर हुई है।
तीन सीटों पर भाजपा ही पार्टी के लिए संकट
जोबट, अलीराजपुर और देपालपुर में भाजपाई ही भाजपा के लिए संकट बन गए हैं। जोबट में पूर्व विधायक माधौसिंह डाबर ने पार्टी के खिलाफ झंडा उठा रखा है। लिहाजा हाल ही में भाजपा में आए प्रत्याशी विशाल रावत की मुश्किल बढ़ गई है। अलीराजपुर में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वकील सिंह ठकराला ने पार्टी निर्णय के खिलाफ अपने छोटे भाई सुरेंद्र सिंह ठकराला को मैदान में उतार दिया है। इससे यहां त्रिकोणीय मुकाबले के हालात हैं। देपालपुर में भी हिंदूवादी नेता राजेंद्र चौधरी के बागी होकर चुनाव लड़ने से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
महू, बड़नगर में कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या
अंचल की महू और बड़नगर में कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई है। महू में पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने राम किशाेर शुक्ला के कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही बगावत का झंडा उठा रखा है। कांग्रेस से इस्तीफा देकर वे निर्दलीय मैदान में हैं। तीन बार लगातार हारने के कारण कांग्रेस ने दरबार का टिकट काट दिया था। उनके कारण महू में त्रिकोणी मुकाबला हो सकता है। उज्जैन की बड़नगर सीट में कांग्रेस ने अपने पैर में खुद कुल्हाड़ी पटकी है। पार्टी ने पहले विधायक मुरली मोरवाल का टिकट बेटे के खिलाफ लगे दुष्कर्म के आरोप के कारण काट कर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दे दिया था लेकिन बाद में मुरली मोरवाल की धमकी से घबरा कर टिकट बदल दिया और मोरवाल को प्रत्याशी बना दिया। इससे नाराज होकर साेलंकी बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं।
जेवियर से कांग्रेस को राहत, आप को झटका
झाबुआ में पूर्व विधायक जेवियर मेढ़ा ने पहले कांग्रेस को झटका दिया था और बाद में आम आदमी पार्टी को। दरअसल, विक्रांत भूरिया को टिकट मिलने पर जेवियर ने कांग्रेस से बगावत कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था और चुनाव मैदान में उतर गए थे। बाद में उनकी मान मनौव्वल हुई तो वे मान गए और अपना नामांकन वापस ले लिया। इससे विक्रांत भूरिया ने तो राहत की सांस ली, लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ धोखा हो गया। प्रेमचंद गुड्डू सहित कांग्रेस-भाजपा के कुछ और बागी अब भी मैदान में डटे हुए हैं। इनकी वजह से दोनों दल मुसीबत में हैं।
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