Muharram 2023 : मोहर्रम आज, निकाले जाएंगे ताजिए, शीरीन नदी और कमलापति घाट पर निगम कराएगा विसर्जन

Muharram 2023 : मोहर्रम आज, निकाले जाएंगे ताजिए, शीरीन नदी और कमलापति घाट पर निगम कराएगा विसर्जन
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दस दिन पहले शुरू हुए मोहर्रम माह के नवें दिन जगह-जगह इमाम हुसैन की शहादत को याद किया गया। इस दौरान घर और मस्जिदों में इमाम हुसैन के नाम की फातिहा पढ़ी गई। इस दिन लोग नफली रोजा भी रखते हैं। शनिवार को रेलवे स्टेशन से ताजियों का जुलूस निकाला जाएगा, जिसके बाद पीरगेट पर ताजिए इकत्रित होंगे। इसके बाद ताजियों का विसर्जन करेंगे।

भोपाल। दस दिन पहले शुरू हुए मोहर्रम माह के नवें दिन जगह-जगह इमाम हुसैन की शहादत को याद किया गया। इस दौरान घर और मस्जिदों में इमाम हुसैन के नाम की फातिहा पढ़ी गई। इस दिन लोग नफली रोजा भी रखते हैं। शनिवार को रेलवे स्टेशन से ताजियों का जुलूस निकाला जाएगा, जिसके बाद पीरगेट पर ताजिए इकत्रित होंगे। इसके बाद ताजियों का विसर्जन करेंगे।

हजारों लोग शामिल होते हैं

आल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने बताया कि इस बार शहर के प्रमुख चौराहों पर ताजियों की स्थापना की गई है। मंगलवार सुबह 9 बजे से ताजियों का जुलूस निकलेगा, जो पीरगेट पर जमा होंगे। इसके बाद यहां से करबला जाएंगे, जिसके बाद पारंपरिक रूप से शीरीन नदी और कमलापति घाट पर ताजियों का विसर्जन किया जाएगा। जहां पर नगर निगम का अमला तैनात किया गया है। कमला पति घाट, करबला और शीरीन नदी पर नगर निगम ने विसर्जन के इंतजाम किए हैं। रविवार को इमामबाड़ों और ताजिया स्थलों पर लोग दरुद और फातिहा ख्वानी करेंगे। खुर्रम ने बताया कि ताजिये हमारे शहर की गंगा जमुनी तहजीब और भाईचारे का प्रतीक हैं। इसमें मुसलमानों के साथ हिंदू समाज के हजारों लोग शामिल होते हैं।

किन्नर और कई परिवार निकालेंगे ताजिये

मोहर्रम में निकलने वाले विशाल ताजियों में मंगलवारा और बुधवारा के कि न्नर गुरु के ताजिए निकाले जाएंगे। नवाबी रियासत से निकाले जाने वाले ताजियों में बाबूलाल प्रजापति, राजेश उर्फ मुन्ना, बसंत महेन्द्र राणा, लक्ष्मीनारायण सोनी ने ताजिया निकाला जाएगा।

इसलिए किया जाता है मातम

इस्लाम के आखिरी पैगंबर साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मातम किया जाता है। इमाम हुसैन ने अपने वक्त के जालिम बादशाह यजीद को अपना खलीफा (धार्मिक सर्वोच्च नेता) मानने से इंकार कर दिया था। यजीद ने इमाम हुसैन पर उसे खलीफा मानने के लिए दबाव बनाया। नाकाम रहने पर यजीद ने अपनी फौज को आदेश देकर ईराक के करबला में इमाम हुसैन व उनके कुनबे को तीन दिन तक भूखा-प्यासा रखकर शहीद करवा दिया।

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