Nagod Vidhan Sabha : पिछले चुनाव में बेहद कम अंतर से हारी कांग्रेस इस बार फतह हासिल करने की फिराक में

Nagod Vidhan Sabha : पिछले चुनाव में बेहद कम अंतर से हारी कांग्रेस इस बार फतह हासिल करने की फिराक में
X
राजशाही की बू-बास वाली नागौद विधानसभा का पिछला चुनाव भाजपा के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह को रिकाउंटिंग के बाद महज 1234 वोटों से हराया था

सतना। राजशाही की बू-बास वाली नागौद विधानसभा का पिछला चुनाव भाजपा के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह को रिकाउंटिंग के बाद महज 1234 वोटों से हराया था, नागेंद्र सिंह को 54637 और यादवेंद्र सिंह को 53403 वोट मिले थे, यह सीट कांग्रेस बेहद मामूली अंतर से हारी थी, इस बार कांग्रेस जीत के लिए पूरा जोर लगाएगी। इस बार यहां पर फर्क यह हो गया है कि कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी डॉ. रश्मि सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। उधर, कांग्रेस से नाराज होकर यादवेंद्र सिंह ने बसपा का दामन थामा और चुनाव मैदान में आ धमके। विंध्यक्षेत्र की राजनीति में राजशाही और क्षत्रियों के दबदबे वाली यह सीट पूरे इलाके में क्षत्रिय वोटों का रुख तय करती है।

बसपा दोनों पार्टियों का समीकरण भी बिगाड़ती रही

राजशाही के दौर में इलाके की उचेहरा रियासत, भटनवारा रियासत और पतौरा रियासत, नागौद रियासत के अधीन रही है, वर्तमान में भी राजपरिवार के भाजपा के नागेंद्र सिंह जूदेव विधायक हैं, भाजपा के नागेंद्र सिंह ने 2018 में कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह को रीकाउंटिंग के बाद महज 1234 वोट से हराकर चुनाव जीते थे, नागौद कृषि प्रधान क्षेत्र है, यहां की कृषि मंडी बड़ी मंडियों में शुमार है, मंडी में अनाज की अावक से बाहर भेजे जाने वाले अनाजों के दाम तय होते आए हैं, नागौद वैसे तो कृषि प्रधान क्षेत्र है, लेकिन यहां की सियासत राजपरिवार और किले आसपास ही घूमती है, 2018 के चुनाव में भाजपा को विजय हासिल हुई थी, नागौद सीट का रण कांग्रेस और भाजपा के बीच होता आया है, कभी कभार बसपा दोनों पार्टियों का समीकरण भी बिगाड़ती रही है।

रोजगार या कोई अन्य आय के साधन

नागौद सीट पर ज्यादातर भजपा का ही कब्जा रहा है, 2013 में कांग्रेस काबिज तो हुई लेकिन 2018 में मामूली अंतर से भाजपा से हार गई, 2023 में कांग्रेस पूरे दमखम से यह सीट हथियाने की कोशिश में है । नागौद के मतदाताओं पर नजर डाले तो यहां ब्राम्हण 25 हजार, ठाकुर 20 हजार, मुश्लिम 11 हजार, कुशवाहा 35 हजार, पटेल 12 हजार, चौधरी हरिजन 35 हाजर, अन्य ओबीसी करीब 45 हजार मतदाता हैं । आज़ादी के बाद भी पूरे इलाके में राजपरिवार और उनके वंशजों का वर्चस्व रहा है, राजपरिवारों से ही विधायक बनते आ रहे हंै, नागेंद्र सिंह नागौद रियासत के वंशज हंै जो चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके है, प्रदेश की भाजपा सरकार में नर्मदा घाटी एवं जल संसाधन मंत्री भी रह चुके है, लेकिन अपने इलाके में जल संकट दूर नही कर सके, नागौद विधानसभा बेहद पिछड़ा इलाका है, यहाँ के बासिन्दे परंपरागत खेती पर आज भी निर्भर है, आजादी के बाद से इलाके में ना तो कोई बड़ा उद्द्योग स्थापित हो सका और न ही रोजगार या कोई अन्य आय के साधन।

अमरपाटन में कांटे का मुकाबला

सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा सीट में मध्य प्रदेश शासन के मंत्री रामखेलावन पटेल भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां पर कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है। अमरपाटन विधानसभा सीट पर पिछले चार चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दो-दो बार विजयी रही है। 2013 में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हासिल हुई थी तो 2018 में भाजपा ने यह सीट जीत ली जिले की अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र से 2018 में भाजपा, 2013 में कांग्रेस, 2008 में भाजपा और 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया था। यानी पिछले चार चुनावों के नतीजों पर नजर डालें, तो हर पांच साल में यहां के मतदाता अपना प्रतिनिधि बदल देते हैं। 2018 में इस सीट से भाजपा के रामखेलावन पटेल जीतकर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। रामखेलावन पटेल अंचल में भाजपा ओबीसी का चेहरा माने जाते रहे हैं। वे कुर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी काम करते रहे हैं।

मप्र विधानसभा के उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे

2018 के में अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र से डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया था। उनके सामने भाजपा के रामखिलवान पटेल उम्मीदवार थे। भाजपा के रामखिलवान पटेल को कुल 59,836 वोट मिले थे। जो कुल मतदान का 35.78 प्रतिशत थे। वहीं कांग्रेस के डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह को कुल 56,089 वोटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था। 2013 के विधानसभा चुनाव में अमरपाटन विधानसभा सीट पर चुनावी मैदान में भाजपा से 2008 का चुनाव जीतने वाले रामखिलवान पटेल मैदान में उतरे थे। उन्हे बराबर की टक्कर देने के लिए चुनावी मैदान में कांग्रेस के डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह सामने थे। लेकिन भाजपा के रामखिलवान पटेल 2013 में जीत नहीं सके। कांग्रेस के डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह ने उन्हें 11,739 वोटों से हराया था। डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह को 48,341 वोट और भाजपा के रामखिलवान पटेल को 36,602 वोट मिले थे। डॉ. राजेंद्र सिंह इस चुनाव में जीत के बाद मप्र विधानसभा के उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे।

Tags

Next Story