Narmadapuram Vidhan Sabha Seat : नर्मदापुरम में दो सगे भाई मैदान में, पर नहीं दिख रही आक्रामक चुनावी जंग

भोपाल। मध्य भारत अंचल की नर्मदापुरम विधानसभा सीट का चुनाव दूसरी सीटों से बिल्कुल अलग है। भाजपा और कांग्रेस ने यहां से दो सगे भाइयों सीतासरन शर्मा और गिरिजाशंकर शर्मा को मैदान में उतार रखा है। दोनों भाई मैदान में तो हैं, लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, इसलिए चुनावी जंग आक्रामक होने की बजाय विचारधाराओं की लड़ाई में तब्दील है। भाजपा में बगावत हुई है। एक बागी भगवती चौरे कुर्मी समाज के वोटों की दम पर मैदान में डटे हैं। यह समाज उनके पक्ष में लामबंद होता भी दिख रहा है। भाजपा के एक अन्य दावेदार राजेश शर्मा ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल कर रखा है। उन्होंने वापस न लिया तो इनसे भी भाजपा को नुकसान संभावित है।
बागियों को मनाने की कोशिश नहीं
भाजपा को इस बात का अहसास है कि यदि भगवती चौरे और राजेश शर्मा मैदान में डटे रहे तो पार्टी का नुकसान होगा फिर भी इन्हें मनाने की कोई कोशिश करता नहीं दिख रहा। दरअसल, नाराजगी परिवार को ही टिकट देने से भी है। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार सीतासरन शर्मा की जगह भाजपा नेतृत्व किसी अन्य को मौका देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसकी वजह से भगवती, राजेश के अलावा भाजपा के लगभग दो दर्जन वरिष्ठ नेता भी नाराज हैं। इनकी वजह से भी भाजपा को नुकसान हो सकता है। क्षेत्र में ब्राह्मणों के बाद सर्वाधिक कुर्मी मतदाता हैं। यह भाजपा का प्रतिबद्ध वोटर रहा है। यदि यह मुंह मोड़कर भगवती चौरे के पक्ष में खड़ा हो गया तो बड़ा नुकसान संभव है। क्षेत्र में यादव, दलित मतदाताओं की तादाद भी अच्छी खासी है। यह भाजपा के पक्ष में ज्यादा रहा है।
असमंजस में परिवार से जुड़ा मतदाता
सीतासरन शर्मा और गिरिजाशंकर दोनों यहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन आमने-सामने पहली बार हैं। गिरिजाशंकर चुनाव से पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। पहले उम्मीद थी कि यदि भाजपा ने सीतासरन को टिकट दिया तो गिरिजाशंकर नहीं लड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शर्मा परिवार के क्षेत्र में लागों से व्यक्तिगत संबंध हैं। इस संबंधों की बदौलत ही शर्मा परिवार का सदस्य चुनाव जीतता रहा है। इस बार दोनों के मैदान में हाेने से शर्मा परिवार से जुड़ा रहा मतदाता असमंजस में है। वह तय नहीं कर पा रहा कि वे किसे वोट दे। हालांकि इस मामले में सीतसरन शर्मा का पलड़ा भारी दिखता है, क्योंकि मतदाताओं से उनके संबंध अपेक्षाकृत ज्यादा मधुर और प्रगाढ़ हैं। दोनों भाइयों के मैदान में होने और एक-दूसरे पर आरोप न लगाने के कारण नर्मदापुरम में पूरा चुनाव प्रचार शालीन ढंग से चल रहा है।
गिरिजाशंकर पर कोई आरोप नहीं लगा रहे
नर्मदापुरम और इटारसी की नगर पालिकाओं में भाजपा का कब्जा है, लेकिन कांग्रेस इनके भ्रष्टाचार तक उजागर नहीं कर रही। बताते हैं कि गिरिजाशंकर ने बोल रखा है कि कोई उनके प्रतिद्वंद्वी भाई पर अनर्गल आरोप नहीं लगाएगा। इसलिए चर्चा यहां तक चल पड़ी है कि गिरिजाशंकर चुनावी युद्ध ही नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा का ही समर्थन कर रहे हैं। यही स्थिति दूसरी तरफ से भी है। भाजपा के सीतासरन शर्मा भी भाई गिरिजाशंकर पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं।
जनता में अच्छा रिस्पांस
भाजपा के सीतासरन ने बड़ी तादाद में युवाओं को अपने साथ जोड़ रखा है दूसरी तरफ इटारसी के नगर कांग्रेस अध्यक्ष मयूर जायसवाल के साथ युवाओं की अच्छी फौज है। ऐसे में होशंगाबाद क्षेत्र में भाजपा तथा इटारसी में कांग्रेस को युवाओं का अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है। भाजपा को प्रधानमंत्री आवास योजना, लाड़ली बहना योजना और लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं से फायदा है तो कांग्रेस की गारंटियों का भी जनता में अच्छा रिस्पांस है। चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी चल रहा है, दूसरी तरफ कमलनाथ को एक मौका और देने की भी चर्चा है।
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