Naryoli Vidhan Sabha : भाजपा अपना किला बचाने कांग्रेस पुराने गढ़ को छीनने के लिए बेताब

Naryoli Vidhan Sabha : भाजपा अपना किला बचाने कांग्रेस पुराने गढ़ को छीनने के लिए बेताब
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शहर की सीमा को चारों तरफ से घिरे नरयावली विधानसभा सुरक्षित क्षेत्र पर टिकट चाहने वालों की लंबी लाइन है। दोनों ही दलों में दावेदार अपना-अपना बायोडाटा लिए और जातिगत आंकड़ों के साथ पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं। किसी को नहीं पता कि इस बार क्या होगा, क्योंकि जिस तरह एक-एक सीट पर सर्वे चल रहे हैं, चुनाव जीतने की रणनीति जिले के हिसाब से बन रही है।

सागर। शहर की सीमा को चारों तरफ से घिरे नरयावली विधानसभा सुरक्षित क्षेत्र पर टिकट चाहने वालों की लंबी लाइन है। दोनों ही दलों में दावेदार अपना-अपना बायोडाटा लिए और जातिगत आंकड़ों के साथ पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं। किसी को नहीं पता कि इस बार क्या होगा, क्योंकि जिस तरह एक-एक सीट पर सर्वे चल रहे हैं, चुनाव जीतने की रणनीति जिले के हिसाब से बन रही है। इसे देखकर अभी से तय करना मुश्किल है कि आखिर कौन चुनाव लड़ेगा। शायद यही कारण दावेदारों की संख्या बढ़ा रहा है। 1977 में अस्तित्व में आई नरयावली सीट के लिए अब तक हुए 10 चुनाव में पांच बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा जीती है। शुरुआत में 1977, 1980 और 1985 में कांग्रेस जीती तो 1990 में नारायण प्रसाद कबीरपंथी भाजपा के जीते। 1993 में फिर प्यारे लाल चौधरी जीते और 1998 में सुरेंद्र चौधरी ने चुनाव जीता। 2003 में फिर नारायण प्रसाद कबीर पंथी जीते। इसके बाद 2008 से लगातार तीन चुनाव भाजपा के प्रदीप लारिया जीते हैं। 2023 विधानसभा चुनाव के लिए दोनों ही दल नरयावली में बढ़त लेने के लिए बेताब हैं। 11वीं बार के चुनाव के लिए भाजपा, कांग्रेस सर्वे कर रहे हैं। नरयावली में प्रत्याशी का बड़ा महत्व है।

आखिर किसको टिकट मिलेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अगस्त को नरयावली विधानसभा क्षेत्र के बडतूमा गांव में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इस कारण इस समय नरयावली सीट पूरे प्रदेश में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। देश के अलग-अलग कोनों से मिट्टी और जल लेकर आ रही यात्राएं यहीं पर समाप्त होंगी। इसके बाद क्षेत्र का सियासी पारा भी चढेगा। दरअसल, कभी कांग्रेस का गढ़ रहा नरयावली विधानसभा क्षेत्र इस समय भाजपा का गढ़ बन गया है। लिहाजा, भाजपा अपने गढ़ को बचाने और कांग्रेस अपने पुराने गढ़ को छीनने के लिए बेताब है। प्रत्याशी चयन पर दोनों ही दल जोर दे रहे हैं। कोई नहीं कह सकता, आखिर किसको टिकट मिलेगा?

महंगाई, बेरोजगारी के साथ स्थानीय मुद्दे

पूरे प्रदेश की तरह नरयावली विधानसभा क्षेत्र में भी सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई और बेरोजगारी का रहने वाला है। लोग सामान की बढ़ती कीमतों एवं रोजगार काे लेकर परेशान हैं। स्थानीय मुद्दों में मकरोनिया नगर पालिका को सागर नगर निगम में शामिल करने की मांग लंबे समय से चल रही है लेकिन उसे पूरा नहीं किया। इसे लेकर जब तब आंदोलन होते रहते हैं।

जातिगत समीकरण साधती है भाजपा

जहां तक नरयावली में जातिगत समीकरणों को सवाल है तो यहां अहिरवार, शाक्य, कोरी, तोमर, खटीक, बसोर, धानक आदि मिलाकर अनुसूचित जाति के लगभग 75000 मतदाता हैं। इनमें से अकेले 57000 अहिरवार समाज से हैं। इसके बाद कुशवाहा समाज 23000 से ज्यादा और ब्राह्मण समाज के 14000 मतदाता हैं। क्षेत्र में दांगी ठाकुर 13000, लोधी 10000, कुर्मी, घोसी 8000, आदिवासी 7000 और लगभग 9000 मुस्लिम जाति के मतदाता हैं। भाजपा हर बार जातीय समीकरण साध कर जीतने में सफल हो जाती है।

भाजपा की ताकत

भाजपा संगठन का बूथ स्तर तक मजबूत होना पार्टी की सबसे बड़ी ताकत है। इसके अलावा सरकारी योजनाएं लाड़ली बहना योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा लोगों को मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना से भी लोग खुश हैं। तीन बार से लगातार जीत से भी भाजपा ताकतवर हुई है।

भाजपा की कमजोरी

पिछले दिनों नगर पालिका मकरोनिया और नगर पंचायत कर्रापुर में टिकट वितरण से उत्पन गुटबाजी को सभी ने देखा है। अब नरयावली से भाजपा से लगभग एक दर्जन दावेदार टिकट मांग रहे हैं। यह गुटबाजी भाजपा के लिए सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो सकती है। पार्टी के पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का निराश होना भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है।

कांग्रेस की ताकत

नरयावली में कांग्रेस के प्रतिबद्ध माने जाने वाले वोटर्स की संख्या 75000 से भी ज्यादा है। कांग्रेस ने जो गारंटियां बिजली बिल माफ, गैस सिलेंडर 500 रु. नारी सम्मान योजना के तहत प्रतिमाह 1500 और किसानों का कर्ज माफ आदि का असर लोगों में दिख रहा है। कांग्रेस के दावेदार लगातार सक्रिय रह कर भी पार्टी को मजबूत किए हैं।

कांग्रेस की कमजोरी

नरयावली क्षेत्र में कांग्रेस के पास प्रतिबद्ध मतदाता तो हैं लेकिन वह विधायक और भाजपा के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर पाई। यह पार्टी की बड़ी कमजोरी है। इसके अलावा कांग्रेस में भी एक दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं, जिससे आपसी गुटबाजी कांग्रेस को कमजोर कर रही है। कांग्रेस जातीय समीकरणों में संतुलन नहीं बना पाती, यह पार्टी की हार का कारण बन जाता है।

क्या काम हुए

सबसे ज्यादा रेलवे ओवरब्रिज बने

मकरोनिया उपनगर का तेजी से विस्तार हुआ

नरयावली क्षेत्र में संत रविदास मंदिर बन रहा

जो नहीं हो पाए

जरुआ खेड़ा, नरयावली को नगर पंचायत का दर्जा नहीं

मकरोनिया सागर नगर निगम में शामिल नहीं

सिंचाई योजनाएं पूरी नहीं

पत्रकार की टिप्पणी

चारों ओर से सागर शहर से सटी हुई नरयावली विधानसभा सीट सागर शहर के घटनाक्रमों से प्रभावित रहती है। अधिकांश दावेदार भाजपा और कांग्रेस के सागर शहर में ही रहते हैं। वर्तमान विधायक प्रदीप लारिया सागर नगर निगम के महापौर रहे हैं और शनिचरी में रहते थे। अब वह मकरोनिया में रहने लगे हैं। इसी तरह कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र चौधरी भगवान गंज सागर शहर में रहते हैं। 1977 में गठन के बाद से यहां खटीक परिवार का दबदबा रहा। यह भी परिवार भी सागर में ही रहता है। नरयावली प्रदेश की एक ऐसी सुरक्षित सीट है, जहां दोनों दलों में दावेदारों की संख्या एक दर्जन तक पहुंचती है। जब टिकट नहीं मिलता तो यही दावेदार अपनी पार्टी को निपटाने का काम भी करते हैं। इस बार दोनों ही दल भाजपा-कांग्रेस माइक्रो लेवल पर सर्वे करा रहे हैं। जातियों के समीकरण तौल रहे हैं। हर हाल में सीट अपने पक्ष में करने की जद्दोजहद हो रही है। भाजपा में तीन बार के विधायक प्रदीप लारिया सबसे बड़े दावेदार हैं, लेकिन पार्टी यदि कुछ पेटर्न चेंज करती है तो ऐसी स्थिति का फायदा लेने के लिए अन्य दावेदार सक्रिय हैं। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी दावेदार माने जाते हैं, लेकिन वे नरयावली से 3 विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इस कारण इस बार नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है। लिहाजा, संभावनाओं के तहत लगभग एक दर्जन दावेदार सक्रिय हैं। नरयावली विधानसभा का सर्वाधिक विस्तार मकरोनिया क्षेत्र में हुआ है। नगरपालिका बनने के बाद शहरों जैसी आबोहवा हो गई है। नरयावली क्षेत्र के सागर सिटी से लगे हुए गांव भविष्य में कॉलोनियों के रूप में विकसित होंगे, इस कारण यहां किसानों की जमीन महंगी हो गई है।

- देवदत्त दुबे, वरिष्ठ पत्रकार

प्रमुख दावेदार

भाजपा से लारिया फिर मुख्य दावेदार

नरयावली में भाजपा की ओर से तीन बार के विधायक प्रदीप लारिया का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसके बावजूद पूर्व विधायक नारायण कबीरपंथी, सागर नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अरविंद तोमर, संतोष रोहित, वैभव कुकरेले, संतोष खटीक और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार की बेटी निवेदिता रत्नाकर भी नरयावली से टिकट के लिए प्रयासरत हैं।

कांग्रेस में भी दावेदार कम नहीं

कांग्रेस में भी नरयावली से दावेदारों की कमी नहीं है। कई चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी फिर टिकट मांग रहे हैं। इनके अलावा पूर्व सांसद आनंद अहिरवार, चार बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीती शारदा खटीक, पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष रेखा चौधरी, आनंद तोमर, देवेंद्र तोमर, माधवी चौधरी, हीरालाल चौधरी, हेमंत लारिया, महेश जाटव, जितेंद्र खटीक और धन सिंह अहिरवार टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं।

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